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संतोषी माता को हिन्दू धरम मे संतोष, सुख, शांति और वैभव की माता के रूप मे पूजा जाता है| ऐसा माना जाता है की माता संतोषी भगवान् श्री गणेश की पुत्री हैं| संतोषी नाम संतोष से बना है| संतोष का हमारे जीवन मे बहुत महत्व है| अगर जीवन मे संतोष न हो तो इन्सान मानसिक और शारीरिक तोर पर बेहद कमजोर हो जाता है| संतोषी मां हमें संतोष दिला हमारे जीवन में खुशियों का प्रवाह करती हैं.

पूजा के अन्त में आरती की जाती है| पूजन में जो त्रुटि रह जाती है, आरती से उसकी पूर्ति होती है| पूजन मन्त्रहीन और क्रियाहीन होने पर भी आरती कर लेने से उसमें सारी पूर्णता आ जाती है| आरती करने का ही नहीं, आरती देखने का भी बड़ा पुण्य होता है| जो धूप और आरती को देखता है और दोनों हाथों से आरती लेता है, वह समस्त पीदियों का उद्धार करता है और भगवान् विष्णु के परमपत को प्राप्त होता है|

ग्वार, लेग्युमिनेसी कुल की, खरीफ ऋतु में उगाई जाने वाली एकवर्षीय फसल है। पशुओं को ग्वार खिलाने से उनमें ताकत आती है तथा दूधारू पशुओं कि दूध देने की क्षमता में बढोतरी होती है। ग्वार फली से स्वादिष्ट तरकारी बनाई जाती है। ग्वार फली को आलू के साथ प्याज में छोंक लगाकर खाने पर यह बहुत स्वाद लगती है तथा अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर भी बनाया जाता है जैसे दाल में, सूप बनाने में पुलाव इत्यादि में।

एक लड़का था| माँ ने उसका विवाह कर दिया| परन्तु वह कुछ कमाता नहीं था| माँ जब भी उसको रोटी परोसती थी, तब वह कहती कि बेटा, ठण्डी रोटी खा लो| लड़के की समझ में नहीं आया कि माँ ऐसा क्यों कहती है|

एक जंगल में अनेक प्रकार के जल जन्तुओं से भरा तालाब था| वहां पर रहने वाला एक बगुला बूढ़ा होने के कारण मछलियों को मारने में भी असमर्थ हो गया| वह बेचारा तालाब के किनारे बैठा रो रहा था| उसे इस प्रकार रोता देखकर एक केकड़े को बहुत दुख हुआ|