अध्याय 228
1 [वयास]
अथ चेद रॊचयेद एतद दरुह्येत मनसा तथा
उन्मज्जंश च निमज्जंश च जञानवान पलववान भवेत
कलिके अंशावतार दुर्योधन धृतराष्ट्रके ज्येष्ठ पुत्र थे| ये राज्यलोभी, महत्त्वाकाङ्क्षी तथा अपने शुभचिन्तकोंको भी शत्रुकी दृष्टिसे देखनेवाले और बचपनसे पाण्डवोंके कट्टर शत्रु थे|
इंग्लैंड के राजा जेम्स उपाधि देने के लिए विख्यात थे। अपने शासनकाल में उन्होंने कई लोगों को विभिन्न प्रकार की उपाधियों से अलंकृत किया था। हालांकि जेम्स उसी को उपाधि देते थे जो उसका सही पात्र होता था। किसी को राजा जेम्स ने लॉर्ड की उपाधि दी तो किसी को डच्यूक की।
“Bhishma said, ‘These two, viz., one that provides for the future, andone possessed of presence of mind, always enjoy happiness.
कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को सूर्य षष्ठी का व्रत करने का विधान है|
1 अर्जुन उवाच
ये शास्त्रविधिम उत्सृज्य यजन्ते शरद्धयान्विताः
तेषां निष्ठा तु का कृष्ण सत्त्वम आहॊ रजस तमः
“Sanjaya said, ‘When three-fourths of that night had worn away, thebattle, O king, once more commenced between the Kurus and the Pandavas.Both sides were elated with joy.
1 [स]
शरुत्वा कर्णं कल्यम उदारवीर्यं; करुद्धः पार्थः फल्गुनस्यामितौजाः
धनंजयं वाक्यम उवाच चेदं; युधिष्ठिरः कर्ण शराभितप्तः
“Vaisampayana said, “Endued with mighty energy and possessed of greatdiscernment, Drona then said, ‘Persons like the sons of Pandu neverperish nor undergo discomfiture.