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गांवों में पपीते का पेड़ घर-घर में देखने को मिल जाता है| पपीते का फल लम्बा होता है| कच्चे पपीते के दूध से ‘पेपन’ नामक पदार्थ बनाया जाता है| पपीते का फल, बीज और पत्ते विभिन्न प्रकार के रोगों में काम आते हैं|

एक गाँव में एक ठाकुर थे| उनके कुटुम्ब में कोई आदमी नहीं बचा, केवल एक लड़का रह गया| वह ठाकुर के घर काम करने लग गया| रोजाना सुबह वह बछड़े चराने जाता था और लौटकर आता तो रोटी खा लेता था|

पान अत्यन्त चरपरा, कटु, क्षारयुक्त एवं मधुर होता है| इसकी उपस्थिति में वात, कफ एवं कृमियों को विदा लेनी पड़ती है| मुंह की दुर्गन्ध को यह दूर करता है| बाजीकरण है, धारण-शक्ति एवं काम-शक्ति को बढ़ाता है| यह जितना पुराना होता है, उतना ही श्रेष्ठ माना जाता है| पान खाने से शारीरिक एवं मानसिक थकान दूर हो जाती है| पान के चबाने एवं चूसने पर लार की मात्रा अधिक निकलती है, जिससे पाचन-क्रिया में सहायता मिलती है| इससे प्यास और भूख भी शान्त हो जाती है तथा निम्न रोगों में भी यह बहुत लाभकारी है|

तू ही माता तू ही पिता है, तू ही माता तू ही पिता है
तू ही तोह है राधा का श्याम साई राम साई श्याम

किसी जंगल में एक शेर रहता था| वह नित्य ही हिरण, मोर, खरगोश इत्यादि जानवरों को मारकर खा जाता था| बेचारे जानवर शेर के आतंक से तंग आकर एक दिन जंगल के जानवरों मोर, हिरण, भैंस, खरगोश आदि ने मिलकर यह निर्णय लिया की वे सब शेर के पास जाएंगे और उससे सारी बात तय करेंगे|

हैजा का नाम सुनते ही लोग भयभीत हो जाते हैं| यह प्राय: महामारी के रूप में फैलता है| यह रोग गरमी के मौसम के अंत में या वर्षा ऋतु की शुरू में पनपता है|