अध्याय 52
1 [स]
स केशवस्या बीभत्सुः शरुत्वा भारत भाषितम
विशॊकः संप्रहृष्टश च कषणेन समपद्यत
“Vaisampayana said, ‘Then all the relatives of Kichaka, arriving at thatplace, beheld him there and began to wail aloud, surrounding him on allsides.
श्री भागवत पूरण के दशम स्कंद के उत्तरार्ध के ५८ मे अध्याय के १७ से २३ श्लोक तक यमुना जी ने जहा श्री कृष्ण प्राप्ति को तप किया वह जगह यमुना किनारे पर स्धित है जो कभी भी प्रकाशित और प्रचारित नही हुई वो जहाँ श्री यमुना जी ने तप किया वह जगह वर्तमान मे यमुना किनारे मथुरा विश्राम घाट से कुछ दूरी पर स्तिथ हैं| जो श्री यमुना तपोभूमि के नाम से स्थापित है| इसकी आरती इस प्रकार है|
Vaisampayana said,–‘then that foremost of all speakers, Krishna of theYadava race, addressing king Jarasandha who was resolved upon fighting,said,–‘O king, with whom amongst us three dost thou desire to fight? Whoamongst us shall prepare himself for battle (with thee)?’
दो हिस्सों में बँटा हुआ एक जंगल था| दोनों भागों में दो सुनहरे हिरण रहते थे| एक का नाम था- वट हिरण और दूसरे का- शाखा हिरण| दोनों का अपना-अपना दल था|
चार साधु थे| वे शहर के पास एक जंगल में रहते थे और भगवान् का भजन-स्मरण करते थे| उन चारों साधुओं की अपनी अलग-अलग एक निष्ठा थी|
“Sanjaya said, ‘Meanwhile ninety Kaurava car-warriors rushed for battleagainst the ape-bannered Arjuna who was advancing, borne by his steeds ofexceeding fleetness.
कश्मीर के राजा रामनाथ की लड़की के महल में एक राक्षस रोजाना ही आकर उसे तंग किया करता था| लड़की उस राक्षस से बहुत दु:खी थी किन्तु उस राक्षस से पीछा छुड़ाने का कोई रास्ता उसकी समझ में नहीं आ रहा था|