अध्याय 11
1 [धृ]
एवम एतन महाप्राज्ञ यथा वदसि नॊ मुने
अहं चैव विजानामि सर्वे चेमे नराधिपाः
एक समय की बात है बाल गंगाधर तिलक छात्रावास की छ्त पर बैठे हुए अपने साथियों के साथ गपशप कर रहे थे| एक के बाद एक सभी साथियों के सामने यह समस्या आयी कि अगर अचानक नीचे किसी पर मुसीबत आ जाए तो उसको बचाने के लिए जल्दी से जल्दी नीचे कौन कैसे जाएगा?
“Sanjaya said, ‘After that elephant-division had been destroyed, OBharata, by the son of Pandu, and while thy army was being thusslaughtered by