वैदिक संस्कृति की उदारता
एक बार की घटना है| स्वामी रामतीर्थ ने 1903 से 1906 तक अपने चमत्कारी व्यक्तित्व से भारत, जापान और अमेरिका को चमत्कृत किया था|
एक बार की घटना है| स्वामी रामतीर्थ ने 1903 से 1906 तक अपने चमत्कारी व्यक्तित्व से भारत, जापान और अमेरिका को चमत्कृत किया था|
बहुत पुरानी बात है| एक खटमल था| उसका बड़ा भारी कुटुम्ब था| ढेरों बच्चे थे| फिर उन सबके भी बहुत सारे बाल-बच्चे थे|
1 [पराषर]
कः कस्य चॊपकुरुते कश च कस्मै परयच्छति
परानी करॊत्य अयं कर्म सर्वम आत्मार्थम आत्मना
हरेक प्रकार के अन्न हो पचाने में अजवाइन को महारथ हासिल है| अजवाइन में चिरायते का कटु पौष्टिक, हींग का वायुनाशक और कालीमिर्च का अग्निदिपन-ये समस्त गुण विद्यमान हैं| इन्हीं गुणों के कारण अजवाइन वायु-कफ, उदर पीड़ा, अफारा एवं कृमि को नष्ट करने में समक्ष है| यह शरीर की वेदना को मिटाती है, कामोद्दीपक है| आमाशय को सक्रीय बनाती है| इससे पक्षाघात एवं कम्पन वायु में लाभ पहुंचता है| इसके काढ़े से आंखें धोने से ज्योति बढ़ती है|
“Bhishma said, ‘All the five sons of Draupadi, O monarch, are Maharathas.Virata’s son Uttara is, in my judgment, one of the foremost of Rathas.The mighty-armed Abhimanyu is a leader of leaders of car-divisions.
Yudhishthira said, ‘Anger is the slayer of men and is again theirprosperor. Know this, O thou possessed of great wisdom, that anger is theroot of all prosperity and all adversity.
गौतम ऋषि के पुत्र का नाम शरद्वान था। उनका जन्म बाणों के साथ हुआ था। उन्हें वेदाभ्यास में जरा भी रुचि नहीं थी और धनुर्विद्या से उन्हें अत्यधिक लगाव था। वे धनुर्विद्या में इतने निपुण हो गये कि देवराज इन्द्र उनसे भयभीत रहने लगे।