Home2011December (Page 15)

एक बार शेर ने उत्सव की घोसणा की| सभी जानवर आये| कुछ जानवर झुण्ड में तथा कुछ जोडों में आये थे| आनन्द का वातावरण बन गया| उत्सव आरम्भ हुआ| गायन हुआ, नृत्य चला, फिर बन्दर को नाचने के लिए कहा गया| बन्दर आनंदमग्न था| उसने मनमोहक नृत्य प्रस्तुत किया| जानवरों ने जमकर उसकी प्रशंसा की| शेर ने उसकी पीठ थपथपाई| बन्दर प्रसिद्ध हो गया|

यह घटना मुगलकाल की है| रहीम खानखाना एक अच्छे योद्धा, हिंदी-प्रेमी और सबसे अधिक वह एक दानी व्यक्ति थे| उनका नियम था कि वह हर दिन गरीबों या याजकों को दान देते थे| उनका दूसरा नियम था की दान देते हुए वह कभी अपनी निगाह लेने वाले पर नहीं डालते थे| वह नीचे नजर कर रूपये-पैसों के ढेर से मुट्ठी भरकर गरीबों को दान करते थे|

महारानी द्रौपदीकी उत्पत्ति यज्ञकुण्डसे हुई थी| ये महराज द्रुपदकी अयोनिजा कन्या थीं| इनका शरीर कृष्णवर्णके कमलके जैसा कोमल और सुन्दर था, अत: इन्हें ‘कृष्णा’ भी कहा जाता था| इनका रूप और लावण्य अनुपम एवं अद्वितीय था|

हिचकी या हिक्का रोग में सांस-रुक-रुककर या हिक्-हिक् की आवाज के साथ बाहर निकलते है| यह रोग पेट में समान वायु तथा गले में उदान वायु के प्रकोप से पैदा होती है|

Vaisampayana said, “After all those illustrious ascetics had gone away,that wielder of the Pinaka and cleanser of all sins–the illustriousHara–assuming the form of a Kirata resplendent as a golden tree, andwith a huge and stalwart form like a second Meru, and taking up a handsome bow and a number of arrows resembling snakes of virulent poison, andlooking like an embodiment of fire, came quickly down on the breast ofHimavat.

खाटू श्याम जी को शीश का दानी के नाम से भी जाना जाता है| इनके इस महान बलिदान को देखकर भगवन श्री कृष्ण ने वीर बर्बरीक को यह वरदान दिया कि यह संसार कलयुग में तुम्हारे मेरे नाम से श्याम, से घर घर में पूजेगा और तुम सब की कामना पूर्ण करोगे| आज श्याम बाबा के देश विदेश में हजारों कि शंख्या में मंदिर हैं| खाटू श्याम जी को शीश के दानी खाटू नरेश श्याम सरकार खाटू नाथ मोर्विनंदन लख दातार श्री खाटू वाले के नाम से भी जानते हैं|