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किसी वन में तमाल के वृक्ष पर घोंसला बनाकर चिड़ा और चिड़िया रहा करते थे| समय पाकर चिड़िया ने अण्डे दिए और जब एक दिन चिड़िया अण्डे से रही थी तथा चिड़ा उसके समीप ही बैठा था तो एक मदोन्मत हाथी उधर से आ निकला| धूप से व्याकुल होने के कारण वह वृक्ष की छाया में आ गया ओर उसने अपनी सूंड से उस शाखा के ही तोड़-मरोड़ दिया जिस पर उनका घोंसला था| इससे चिड़ा ओर चिड़िया तो किसी तरह उड़कर बच गए किन्तु घोंसला नीचे गिर जाने से उसमें रखे अण्डे चूर-चूर हो गए|

“Yudhishthira said, ‘I wish, O sire, to hear the settled conclusions onthe subject of Virtue, Wealth, and Pleasure. Depending upon which ofthese does the course of life proceed? What are the respective roots ofVirtue, Wealth, and Pleasure? What are again the results of those three?They are sometimes see n to mingle with one another, and sometimes toexist separately and independently of one another.’

एक बार नारदजी एक पर्वत से गुजर रहे थे। अचानक उन्होंने देखा कि एक विशाल वटवृक्ष के नीचे एक तपस्वी तप कर रहा है। उनके दिव्य प्रभाव से वह जाग गया और उसने उन्हें प्रणाम करके पूछा कि उसे प्रभु के दर्शन कब होंगे।