नवरात्रि व्रत, पूजन और इसका महत्व
नवरात्रि एक ख़ास हिन्दू पर्व है जिसे न केवल भारत वर्ष अपितु अन्य देशों मे भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है| नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है नौ रातें|
नवरात्रि एक ख़ास हिन्दू पर्व है जिसे न केवल भारत वर्ष अपितु अन्य देशों मे भी बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है| नवरात्रि का शाब्दिक अर्थ है नौ रातें|
Bhima said, “I intend to present myself before the lord of Virata as acook bearing the name of Vallabha.
पौराणिक इतिहास से ग्यात होता है की महाभारत के युद्ध में चक्रव्यूह में वीर अभीमन्यु वीर गति को प्राप्त हुए थे | उस समय उत्तरा जी को भगवान श्री कृष्णा जी ने वरदान दिया था की कलयुग में तू “नारायाणी” के नाम से श्री सती दादी के रूप में विख्यात होगी और जन जन का कल्याण करेगी, सारे दुनिया में तू पूजीत होगी | उसी वरदान के स्वरूवप श्री सती दादी जी आज से लगभग 715 वर्ष पूर्वा मंगलवार मंगसिर वदि नवमीं सन्न 1352 ईस्वीं 06.12.1295 को सती हुई थी |
“Vaisampayana said,–“Then that chief of men, king Yudhishthira, enteredthat palatial sabha having first fed ten thousand Brahmanas withpreparations of milk and rice mixed with clarified butter and honey withfruits and roots, and with pork and venison.
एक समय था जब राजा-महाराजाओं को पक्षी पालने का शौक होता था| ऐसे ही एक राजा के पास कई सुंदर पक्षी थे| उनमें से एक चकोर राजा को अति प्रिय था और वह जहाँ भी जाता उसे जरुर साथ ले जाता था|
मद्र देश के राजा अश्वपति ने पत्नि सहित सन्तान के लिये सावित्री देवी का विधि पूर्वक व्रत तथा पूजन करके पुत्री होने पर वर प्राप्त किया । सर्वगुण देवी सावित्री ने पुत्री के रूप में अश्वपति के घर कन्या के रूप मे जन्म लिया ।
“Sanjaya said, ‘Thus addressed by the celebrated grandson of Gotama, theking (Duryodhana), breathing long and hot breaths, remained silent, Omonarch. Having reflected for a little while, the high-souled son of
मुकुन्ददास नामक एक व्यक्ति किसी अच्छे सन्त का शिष्य था| वे सन्त जब भी उसको अपने पास आने के लिये कहते, वह यही कहता कि मेरे बिना मेरे स्त्री-पुत्र रह नहीं सकेंगे| वे सब मेरे ही सहारे बैठे हुए हैं| मेरे बिना उनका निर्वाह कैसे होगा? सन्त ने कहते कि भाई! यह तुम्हारा वहम है, ऐसी बात है नहीं|
पुराने समय में एक राजा के कोई सन्तान नही थी । राजा रानी सन्तान के न होने पर बडे दःखी थे एक दिन रानी ने गाज माता से प्रार्थना की कि अगर मेरे गर्भ रह जाये तो मैं तुम्हारे हलवे की कडाही करूँगी ।