मुर्गी और सोने का अंडा
एक किसान के पास एक मुर्गी थी| वह प्रतिदिन एक सोने का अंडा दिया करती थी|
नारद मुनि नारायण, नारायण का जाप करते हुए पहुँच गये अपने प्रभु के लोक, यानि कि वैकुण्ठलोक। वहाँ शेष शैया पर भगवान विष्णु विश्राम कर रहे थे, और विष्णुप्रिया भगवती लक्ष्मी चरण कमल चापन में मग्न थीं। नारद मुनि थोडा ठहरे, फिर सोचा कि प्रभु के विश्राम मे विघ्नडारक न बन जाऊँ, इसलिये चुपचाप चल पड़ने को उद्यत हुए। प्रभु को अपने भक्त का इस तरह से जाना नागवार गुजरा, और उन्होंने नारद मुनि को रोका…
“Sanjaya said, ‘Beholding the army broken, the valiant king of theMadras, addressed his driver, saying, “Quickly urge these steeds enduedwith the fleetness of thought.
शबरी भगवान् की परम भक्त थी| पहले वह ‘शबर’ जाति की एक भोली-भाली लड़की थी| शबर-जाति के लोग कुरूप होते थे|
1 [वै]
याज्ञसेन्या वचः शरुत्वा भीमसेनॊ ऽतयमर्षणः
निःश्वसन्न उपसंगम्य करुद्धॊ राजानम अब्रवीत
“Yudhishthira said, ‘How, O Bharata, should a person act who desires toadhere to virtue? O bull of Bharata’s race, possessed as thou art oflearning, tell me this, questioned by me.
“Bhishma said, ‘In this connection, O perpetuator of Kuru’s race, isrecited by the righteous the narrative of the great calamity thatovertook king Nriga in consequence of his spoliation of what had belongedto a Brahmans.
1 [जाजलि]
यथा परवर्तितॊ धर्मस तुलां धारयता तवया
सवर्गद्वारं च वृत्तिं च भूतानाम अवरॊत्स्यते
गठिया एक विचित्र और कष्टप्रद रोग है| यह अधिकतर प्रौढ़ावस्था और बुढ़ापे में ही होती है| परन्तु कभी-कभी छोटी उम्र में भी यह बहुत से मनुष्यों को हो जाती है|