पागल नौकर
किसी शहर में एक सेठ रहता था| किसी कारणवश उस बेचारे को अपने कारोबार में घाटा पड़ गया| गरीब होने के कारण उसे बहुत दुःख था| इस दुःख से तंग आकर उसने सोचा कि इस जीवन का उसे क्या लाभ? इससे तो मर जाना अच्छा है|
किसी शहर में एक सेठ रहता था| किसी कारणवश उस बेचारे को अपने कारोबार में घाटा पड़ गया| गरीब होने के कारण उसे बहुत दुःख था| इस दुःख से तंग आकर उसने सोचा कि इस जीवन का उसे क्या लाभ? इससे तो मर जाना अच्छा है|
“Yudhishthira said, ‘Which amongst these three persons, O grandsire,should be regarded as the best for making gifts unto, viz., one who is athorough stranger, or one who is living with and who has been known tothe giver for a long time, or one who presents himself before the giver,coming from a long distance?’
1 [य]
परियः सर्वस्य लॊकस्य सर्वसत्त्वाभिनन्दिता
गुणैः सर्वैर उपेतश च कॊ नव अस्ति भुवि मानवः
“Yudhishthira said, ‘When the high righteousness suffers decay and istransgressed by all, when unrighteousness becomes righteousness, andrighteousness assumes the form of its reverse,
यह भक्त जी भी दक्षिण देश की तरफ से हुए हैं तथा भक्त नामदेव जी के गुरु-भाई वैश्य जाति से थे और ज्ञान देव जी (ज्ञानेश्वर) के शिष्य थे| उन से दीक्षा प्राप्त की थी| दक्षिण में आप की ख्याति भी भक्त नामदेव जी की तरह बहुत हुई तथा जीव कल्याण का उपदेश करते रहे| आपको बड़े जिज्ञासु भक्तों में माना गया| आपके बारे में भाई गुरदास जी इस प्रकार उच्चारण करते हैं –
मिस्र के प्रसिद्ध संत जुन्नून के पास एक शिष्य दीक्षा लेने आया, किंतु चार वर्ष वहां रहकर भी वह जुन्नून से यह नहीं कह सका कि मैं धर्म की दीक्षा लेने आया हूं। एक दिन संत ने उससे पूछा- क्या चाहते हो? तब युवक यूसुफ हुसैन ने कहा- मैं आपका शिष्य बनकर धर्म की दीक्षा लेना चाहता हूं।
“Sanjaya said, ‘Beholding Drona filled with great anxiety and almostdeprived of his senses by grief, Dhrishtadyumna, the son of the Panchalaking, rushed at him.