अध्याय 77
1 [स]
अथात्मजं तव पुनर गाङ्गेयॊ धयानम आस्थितम
अब्रवीद भरतश्रेष्ठः संप्रहर्षकरं वचः
बहुत समय पहले बंगाल में महाराज कृष्णचन्द्र का राज्य था| उनके दरबार में बहुत सारे विदूषक थे| सबसे ज्यादा लोकप्रिय था-गोपाल| गोपाल नाई था लेकिन सब लोग उसे गोपाल भांड कहकर बुलाते थे|
भारत के पूर्वी हिस्से में उड़ीसा नाम का राज्य है| महानदी के मुहाने पर आसपास की जमीन बहुत उपजाऊ है-धान के खेत, जंगल और ताजा हरी घास, जिसे वहां के मवेशी भरपेट खाते हैं|
Dhritarashtra said,–“There (on the field of battle) O Sanjaya, thewarriors of which side first advanced to battle cheerfully?
“Vaisampayana said, ‘Thus summoned to battle by the illustrious hero,Dhritarashtra’s son turned back stung by those censures, like aninfuriate and mighty elephant pricked by a hook.
यह सच्ची घटना ओडीसा की है। उर्मिला दास अपने छोटे से परिवार पति और दो बच्चों में प्रसन्न थी। वे निर्धन थे किंतु गुजारे लायक कमा लेते थे। कम साधनों में भी पर्याप्त संतुष्टि का भाव उस परिवार में था और इसीलिए वे आनंद से जीवन व्यतीत कर रहे थे। किंतु एक दिन ऐसा आया कि इस परिवार की खुशियों पर ग्रहण लग गया।
Vaisampayana said,–“Intoxicated with pride, the son of Dhritarashtraspake,–‘Fie on Kshatta! and casting his eyes upon the Pratikamin inattendance, commanded him, in the midst of all those reverend seniors,saying,–‘Go Pratikamin, and bring thou Draupadi hither. Thou hast nofear from the sons of Pandu. It is Vidura alone that raveth in fear.Besides, he never wisheth our prosperity!'”
जबसे बढ़ा सांई से रिश्ता दुनियां छूटी जाय
हम आऐ सांई के द्वारे धरती कहीं भी जाय
भगवती श्रीसीताजी की महिमा अपार है| वेद, शास्त्र, पुराण, इतिहास तथा धर्मशास्त्रोंमें इनकी अनन्त महिमाका वर्णन है| ये भगवान् श्रीरामकी प्राणप्रिया आद्याशक्ति हैं|