है ये पावन शिरडी यहाँ बार-बार आना
है ये पावन शिरडी यहाँ बार-बार आना
साँईनाथ के चरणों में आकर के झुकजाना
है ये पावन शिरडी यहाँ बार-बार आना
है ये पावन शिरडी यहाँ बार-बार आना
साँईनाथ के चरणों में आकर के झुकजाना
है ये पावन शिरडी यहाँ बार-बार आना
“Sanjaya said, ‘Beholding the mighty Karna take up his station fromdesire of battle, the Kauravas, filled with delight, uttered loud shoutsfrom every side.
1 [य]
किमर्थं सहसा विन्ध्यः परवृद्धः करॊधमूर्छितः
एतद इच्छाम्य अहं शरॊतुं विस्तरेण महामुने
1 [भीस्म]
हन्त वक्ष्यामि ते पार्थ धयानयॊगं चतुर्विधम
यं जञात्वा शाश्वतीं सिद्धिं गच्छन्ति परमर्षयः
मुस्लिम संतों में एक बहुत बड़ी संत हुई हैं राबिया| उनमें ईश्वर-भक्ति कूट-कूटकर भरी थी, वे हर घड़ी प्रभु के चरणों में लौ लगाए रहती थीं| सबको उसी का बंदा मानकर उन्हें प्यार करती थीं और जी-जान से उनकी सेवा करती थीं|
“Yudhishthira said, ‘If, O prince, Brahmanahood be so difficult ofattainment by the three classes (Kshatriyas, Vaisyas and Sudras), howthen did the high souled Viswamitra, O king, though a Kshatriya (bybirth), attain to the status of a Brahmana?
“Yudhishthira said, ‘Tell me, O grandsire, whence and how happiness andmisery come to those that are rich, as also those that are poor, but wholive in the observance of different practices and rites.'[521]