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पूर्वकल्प में आरुणि नाम से विख्यात एक महान् तपस्वी ब्राह्मण थे| वे किसी उद्देश्य से तप करने के लिये वन में गये और वहाँ उपवासपूर्वक तपस्या करने लगे| उन्होंने देविका नदी के सुन्दर तटपर अपना आश्रम बनाया था|

एक अलमस्त साधु कुछ जिज्ञासुओं के मध्य बैठा बातें कर रहा था। जिज्ञासु उससे अपने प्रश्नों का समाधान प्राप्त कर रहे थे और साधु धर्यपूर्वक उनके प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। प्रश्न करने वालों में कुछ उद्दंड लोग भी बैठे थे। इनमें से एक ने पूछा- बाबा! यह बताओ कि कुछ लोग डंडा लेकर आपको मारने आएं तो आप क्या करोगे? प्रश्न सुनकर साधु बहुत हंसे, फिर बोले- इसका उपाय तो बहुत ही सरल है।

पहले विश्व-महायुद्ध के दिनों की बात है| लंबी लड़ाई से इंग्लैंड की जनता क्लांत हो चुकी थी| थकी हुई जानता वर्षों से जूझते देश के सिपाहियों ने नए उत्साह की प्रेरणा देने के लिए इंग्लैंड के तत्कालीन बादशाह पंचम जार्ज ने प्रमुख मोर्चों पर सैनिक टुकडियों तथा फौजी छावनियों में एकत्र देश के सिपाहियों के समक्ष जाने का कार्यक्रम बनाया|