नारायण-मन्त्र की महिमा
पूर्वकल्प में आरुणि नाम से विख्यात एक महान् तपस्वी ब्राह्मण थे| वे किसी उद्देश्य से तप करने के लिये वन में गये और वहाँ उपवासपूर्वक तपस्या करने लगे| उन्होंने देविका नदी के सुन्दर तटपर अपना आश्रम बनाया था|
पूर्वकल्प में आरुणि नाम से विख्यात एक महान् तपस्वी ब्राह्मण थे| वे किसी उद्देश्य से तप करने के लिये वन में गये और वहाँ उपवासपूर्वक तपस्या करने लगे| उन्होंने देविका नदी के सुन्दर तटपर अपना आश्रम बनाया था|
“Vaisampayana said, ‘Having defeated Vikartana’s son, Arjuna said untothe son of Virata, ‘Take me towards that division where yonder device ofa golden palmyra is seen.
एक अलमस्त साधु कुछ जिज्ञासुओं के मध्य बैठा बातें कर रहा था। जिज्ञासु उससे अपने प्रश्नों का समाधान प्राप्त कर रहे थे और साधु धर्यपूर्वक उनके प्रश्नों का उत्तर दे रहे थे। प्रश्न करने वालों में कुछ उद्दंड लोग भी बैठे थे। इनमें से एक ने पूछा- बाबा! यह बताओ कि कुछ लोग डंडा लेकर आपको मारने आएं तो आप क्या करोगे? प्रश्न सुनकर साधु बहुत हंसे, फिर बोले- इसका उपाय तो बहुत ही सरल है।
पहले विश्व-महायुद्ध के दिनों की बात है| लंबी लड़ाई से इंग्लैंड की जनता क्लांत हो चुकी थी| थकी हुई जानता वर्षों से जूझते देश के सिपाहियों ने नए उत्साह की प्रेरणा देने के लिए इंग्लैंड के तत्कालीन बादशाह पंचम जार्ज ने प्रमुख मोर्चों पर सैनिक टुकडियों तथा फौजी छावनियों में एकत्र देश के सिपाहियों के समक्ष जाने का कार्यक्रम बनाया|
“Vidura said,–“Gambling is the root of dissensions. It bringeth aboutdisunion. Its consequences are frightful. Yet having recourse to this,Dhritarashtra’s son Duryodhana createth for himself fierce enmity.
नैना नीर बहाएं साईं नैना नीर बहाएं हैं .
नैना नीर बहाएं साईं नैना नीर बहाएं हैं .
“Sanjaya said, ‘Thus rebuked by Shalya of immeasurable energy, the son ofRadha, feeling the propriety of his rebuker’s name in consequence of hiswordy darts, and becoming filled with rage, answered him thus:
यह व्रत आश्विन मास की कृष्ण पक्ष की अष्टमी से प्रारम्भ होकर आठ दिन तक चलता है|