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अत्रिवंश में उत्पन्न एक मुनि थे, जो संयमन नाम से विख्यात थे| उनकी वेदाभ्यास में बड़ी रूचि थी| वे प्रातः, मध्यान्ह तथा सांय-त्रिकाल स्नान-संध्या करते हुए तपस्या करते थे|

एक वृद्ध व्यक्ति युवकों को पेड़ पर चढ़ने व उतरने की कला सिखाया करता था। वह ऊंचे से ऊंचे पेड़ों पर चढ़ना-उतरना इस हुनर के साथ सिखाता था कि युवक इस कार्य में अति निपुण हो जाते थे। यह कला उन्हें खेती में काम आती थी और अनेक बार जंगली जानवरों से आत्मरक्षार्थ भी। वृद्ध इस कला को गहराई से जानता था।

प्रसिद्ध शिक्षाशास्त्री एवं न्यायशास्त्री सर डॉ० आशुतोष मुखर्जी की 125वी जयंती जुलाई, 1989 में सारे देश में मनाई गई थी| डॉ० आशुतोष कितने अधिक साहसी, दृढ़ निश्चयी और राष्ट्रवादी भावना के प्रतीक थे, यह तथ्य इस घटना से प्रमाणित होता है- एक बार अदालत में देर हो जाने पर सांझ के समय डॉ० आशुतोष रेल द्वारा यात्रा कर रहे थे| वह बहुत अधिक थके हुए थे|