अध्याय 15
1 [धृ]
परॊक्तस तवया पूर्वम एव परवीरॊ लॊकविश्रुतः
न तव अस्य कर्मसंग्रामे तवया संजय कीर्तितम
1 [धृ]
परॊक्तस तवया पूर्वम एव परवीरॊ लॊकविश्रुतः
न तव अस्य कर्मसंग्रामे तवया संजय कीर्तितम
“‘Shalya said, “These, O Karna, are ravings that thou utterest regardingthe foe. As regards myself without a 1,000 Karnas I am able to vanquishthe foe in battle.'”
1 [व]
शकुनेस तु सुतॊ वीरॊ गान्धाराणां महारथः
परयुद्ययौ गुडाकेशं सैन्येन महता वृतः
हस्त्यश्वरथपूर्णेन पताकाध्वजमालिना
एक दिन भगवान बुद्ध कहीं जा रहे थे| उनका शिष्य आनंद भी साथ था| वे पैदल चलते-चलते बहुत दूर निकल गए| ज्यादा चलने के कारण वे थक गए थे| रास्ते में आराम करने के लिए वे एक पेड़ के नीचे रुक गए|
पेट का दर्द छोटे-बड़े सभी को होता है| अधिकांश लोगों को भोजन करने के उपरांत पेट दर्द होता है, जबकि कुछ लोगों को भोजन से पहले यह पीड़ा होती है|
“Yudhisthira said, ‘I wish to know, O royal sage, whether any fault isincurred by one who from interested or disinterested friendship impartsinstructions unto a person belonging to a low order of birth! Ograndsire, I desire to hear this, expounded to me in detail.
“Bhishma said, ‘After that night had passed away and that best ofBrahmanas had left the house, Gautama, issuing from his abode, began toproceed towards the sea, O Bharata!
1 [स]
विराटॊ ऽथ तरिभिर बाणैर भीष्मम आर्छन महारथम
विव्याध तुरगांश चास्य तरिभिर बाणैर महारथः