जयध्वज की विष्णु भक्ति
माहिष्मती के राजा कार्तवीर्य के सौ पुत्र थे| उनमें शूर, शूरसेन, कृष्ण, धृष्ण और जयध्वज नाम के पाँच पुत्र महारथी और मनस्वी थे| इनमें प्रथम चार रूद्र के भक्त एवं पाँचवाँ जयध्वज नारायण का भक्त था|
माहिष्मती के राजा कार्तवीर्य के सौ पुत्र थे| उनमें शूर, शूरसेन, कृष्ण, धृष्ण और जयध्वज नाम के पाँच पुत्र महारथी और मनस्वी थे| इनमें प्रथम चार रूद्र के भक्त एवं पाँचवाँ जयध्वज नारायण का भक्त था|
उन दिनों शिवाजी मुगल सेना से बचने के लिए वेश बदलकर रहते थे। इसी क्रम में एक दिन शिवाजी एक दरिद्र ब्राrाण के घर रुके। ब्राrाण का नाम विनायक देव था। वह अपनी मां के साथ रहता था। विनायक भिक्षावृत्ति कर अपना जीवन-यापन करता था। अति निर्धनता के बावजूद उसने शिवाजी का यथाशक्ति सत्कार किया।
Vaisampayana said,–“King Dhritarashtra, ascertaining the inclinations ofhis son and knowing that Fate is inevitable, did what I have said.
घृत कुमारी या अलो वेरा/एलोवेरा, जिसे क्वारगंदल, या ग्वारपाठा के नाम से भी जाना जाता है, एक औषधीय पौधे के रूप में विख्यात है। ग्वारपाठा पेट की बीमारियों के लिये और जोड़ों के दर्द के लिये बहुत फायदेमन्द है| एलोवेरा की लगभग 200 जातियां होती हैं। इनमें से सिर्फ पहली 5 ही मानव शरीर के लिए उपयोगी होती हैं। तो आज इसके गुणों के बारे में बात करते हैं।
1 [स]
हस्तिभिस तु महामात्रास तव पुत्रेण चॊदिताः
धृष्टद्युम्नं जिघांसन्तः करुद्धाः पार्षतम अभ्ययुः
“Sanjaya said, ‘Beholding then that unrivalled array of the Parthas madeby Dhrishtadyumna which was capable of resisting all hostile armies,Karna proceeded, uttering leonine shouts and causing his car to produce aloud rattle.
पुराने जमाने की बात है| अरब के लोगों में हातिमताई अपनी उदारता के लिए दूर-दूर तक मशहूर था| वह सबको खुले हाथों दान देता था| सब उसकी तारीफ करते थे|