Home2011September (Page 20)

सतपुड़ा के वन प्रांत में अनेक प्रकार के वृक्ष में दो वृक्ष सन्निकट थे। एक सरल-सीधा चंदन का वृक्ष था दूसरा टेढ़ा-मेढ़ा पलाश का वृक्ष था। पलाश पर फूल थे। उसकी शोभा से वन भी शोभित था। चंदन का स्वभाव अपनी आकृति के अनुसार सरल तथा पलाश का स्वभाव अपनी आकृति के अनुसार वक्र और कुटिल था, पर थे दोनों पड़ोसी व मित्र। यद्यपि दोनों भिन्न स्वभाव के थे। परंतु दोनों का जन्म एक ही स्थान पर साथ ही हुआ था। अत: दोनों सखा थे।

विदर्भ देश में श्वेत नामक राजा राज्य करते थे| वे सतर्क होकर राज्य का संचालन करते थे| उनके राज्य में प्रजा सुखी थी| कुछ दिनों के बाद राजा के मन में वैराग्य हो आया| तब वे अपने भाई को राज्य सौंपकर वन में तपस्या करने चले गये|

सुन लो साई बाबा, सुन लो साई बाबा, विनती हमारी
करलो भक्तों में गिनती हमारी
नित नित हर दिन हर पल हर दिन, दिल बसे तू साई, ……… दो बार

पुराने जमाने की बात है| एक आदमी चोरी के अपराध में पकड़ा गया| उसे राजा के सामने पेश किया गया| उन दिनों चोरों को फांसी की सजा दी जाती थी| अपराध सिद्ध हो जाने पर इस आदमी को भी फांसी की सजा मिली|