Home2011September (Page 17)

एक फकीर था| वह भीख मांगकर अपनी गुजर-बसर किया करता था| भीख मांगते-मांगते वह बूढ़ा हो गया| उसकी आंखों से कम दिखने लगा| एक दिन भीख मांगते हुए वह एक जगह पहुंचा और आवाज लगाई| किसी ने कहा – “आगे बढ़ो! यह ऐसे आदमी का घर नहीं है, जो तुम्हें कुछ दे सकें|”

भूमिका:

परमात्मा ने सब जीवो को एक – सा जन्म दिया है| माया की कमी या फिर जीवन के धंधो के कारण लोगो तथा कई चालाक पुरुषों ने ऐसी मर्यादा बना दी कि ऊँच – नीच का अन्तर डाल दिया| उसी अन्तर ने करोडों ही प्राणियों को नीचा बताया| परन्तु जो भक्ति करता है वह नीच होते हुए भी पूजा जाता है| भक्ति ही भगवान को अच्छी लगती है| भक्ति रहित ऊँचा जीवन शुद्र का जीवन है|

“Yudhishthira said, ‘Tell me, O thou of great wisdom, everything aboutthat from which spring wrath and lust, O bull of Bharata’s race, andsorrow and loss of judgment, and inclination to do (evil to others), andjealousy and malice and pride, and envy, and slander, and incapacity tobear the good of others, and unkindness, and fear. Tell me everythingtruly and in detail about all these.’