अध्याय 44
1 [बर]
यद आदिमध्यपर्यन्तं गरहणॊपायम एव च
नाम लक्षणसंयुक्तं सर्वं वक्ष्यामि तत्त्वतः
1 [ल]
एतस्मिन्न एव काले तु बृहद्द्युम्नॊ महीपतिः
सत्रम आस्ते महाभागॊ रैभ्य याज्यः परतापवान
किसी नगर में एक आदमी रहता था| वह पढ़ा-लिखा और चतुर था| एक बार उसमें धन कमाने की लालसा पैदा हुई| उसके लिए उसने प्रयत्न आरंभ किया| देखते-देखते उसके पास लाखों की संपदा हो गई, पर उसके पास ज्यों-ज्यों पैसा आता गया, उसका लोभ बढ़ता गया| साथ ही धन का ढेर भी ऊंचा होता गया|
“Yudhishthira said, ‘Sons and grandsons and brothers and sires andfathers-in-law and preceptors and maternal uncles and grandsires, manyhigh-souled Kshatriyas, many relatives (by marriage), friends,companions, sister’s sons, and kinsmen, O grandsire, and many foremost ofmen coming from diverse countries, have fallen.
हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं| थोड़ी सी प्रार्थना और पूजा से शीर्घ प्रसन्न हो जाते हैं| शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जो इन्हें ना जानता हो हनुमान जी भगवान राम के अनन्य भक्त थे| शनिवार और मंगलवार का दिन इनके पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है| अगर आप अपनी परेशानियों से निजात पाना चाहते हैं तो आप निम्न मंत्र और उपाय अजमाएं| शीघ्र ही आपके सारे कष्ट दूर होकर आपको सुख की अनुभति होगी|
1 [वि]
सप्तदशेमान राजेन्द्र मनुः सवायम्भुवॊ ऽबरवीत
वैचित्रवीर्य पुरुषान आकाशं मुष्टिभिर घनतः
“Markandeya said, “Then Kumbhakarna set out from the city, accompanied byhis followers. And soon he beheld the victorious monkey troops encampedbefore him.
सीताराम, सीताराम, सीताराम कहिये .
जाहि विधि राखे, राम ताहि विधि रहिये ..
“Bhishma said, ‘Persons engaged in the practice of acts regard thepractice of acts highly. Similarly, those that are devoted to Knowledgedo not regard anything other than Knowledge.