Home2011August (Page 45)

किसी नगर में एक जुलाहा रहता था| वह बहुत बढ़िया कम्बल तैयार करता था| कत्तिनों से अच्छी ऊन खरीदता और भक्ति के गीत गाते हुए आनंद से कम्बल बुनता| वह सच्चा था, इसलिए उसका धंधा भी सच्चा था, रत्तीभर भी कहीं खोट-कसर नहीं थी|

सरस्वती माँ शत् प्रणाम, घट में भर दे ऐसा ज्ञान।
करें देश सेवा का काम, पढ़ लिखकर हम पाएँ मान।