Home2011August (Page 42)

एक दुकानदार को नौकर की सख्त जरूरत थी। उसने अपने मिलने-जुलने वालों से कह रखा था कि कोई पढ़ा-लिखा, ईमानदार आदमी मिल जाए तो बताना, क्योंकि मैं अकेला हूं। जब कभी बाहर सामान लेने जाता हूं या किसी अन्य काम से यहां-वहां जाता हूं तो मुझे दुकान बंद ही करनी पड़ती है। कहते हैं ग्राहक और मौत का क्या ठिकाना? कब आए और लौट जाए।

“Saunaka said, ‘O Sauti, relate once more in detail this history of thelearned and virtuous Astika. Our curiosity for hearing it is great. Oamiable one, thou speakest sweetly, with proper accent and emphasis; andwe are well-pleased with thy speech. Thou speakest even as thy father.Thy sire was ever ready to please us. Tell us now the story as thy fatherhad related it.’

इंद्रप्रस्थ में अब राजसूय यज्ञ की तैयारियाँ प्रारम्भ हो गई थी| बड़ी संख्या में राजा और राजकुमारों का आगमन हुआ| नगरी में सब ओर उत्साह की लहर थी| धार्मिक अनुष्ठानों और मंत्रोच्चारण के साथ युधिष्ठिर को सम्राट घोषित किया गया|

पेट में अम्ल का बढ़ जाना कोई रोग नहीं माना जाता, लेकिन इसके परिणाम अवश्य भयानक सिद्ध होते हैं| इसकी वजह से बहुत-सी व्याधियां उत्पन्न हो जाती हैं|

प्राचीन काल में एक राजा थे, जिनका नाम था इन्द्रघुम्न| वे बड़े दानी, धर्मज्ञ और सामर्थ्यशाली थे| धनार्थियों को वे सहस्त्र स्वर्णमुद्राओं से कम दान नही देते थे| उनके राज्य में सभी एकादशी के दिन उपवास करते थे| गंगा की बालुका, वर्षा की धारा और आकाश के तारे कदाचित् गिने जा सकते है, पर इन्द्रघुम्न के पुण्यों की गणना नही हो सकती|

1 [अस्ट] अन्धस्य पन्था बधिरस्य पन्थाः; सत्रियः पन्था वैवधिकस्य पन्थाः
राज्ञः पन्था बराह्मणेनासमेत्य समेत्य; तु बराह्मणस्यैव पन्थाः