अध्याय 151
1 [स]
तस्मिंस तथा वर्तमाने कर्ण राक्षसयॊर मृधे
अलायुधॊ राक्षसेन्द्रॊ वीर्यवान अभ्यवर्तत
Janamejaya said, “Having heard of Karna’s fall and the slaughter of hissons, what, O foremost of regenerate ones, did the king say, after he hadbeen a little comforted? Indeed, poignant was the grief that heexperienced, arising from the calamity that befell his sons! Tell me, Iask thee, all that the king said on that occasion!”
ऋषभ के पुत्र भरत थे, जिनके नाम पर इस देश का नाम भारतवर्ष पड़ा| भारत के पुत्र शतश्रृंग हुए, उनके आठ पुत्र और एक पुत्री थी| पुत्रों के नाम इंद्रद्वीप, कसेरु, ताम्रद्वीप, गभस्तिमान, नाग, सौम्य, गंधर्व और वरुण थे| राजर्षि शतश्रृंग की कन्या का मुख बकरी के मुख की तरह था| ऐसा होने का कारण उसका पुनर्जन्म में बकरी-शरीर का होना था|
भूमिका:
पवित्र गंगा के किनारे काशी नगरी स्थित है जिसे बनारस भी कहा जाता है| इस नगरी में पन्द्रवी सदी में कभी घर-घर लोग रामानंद जी को याद करते थे| आप एक महा पुरुष हुए हैं| आप वैष्णव मत के नेता और योगी हुए हैं|
बचपन में गांधीजी को घर के लोग ‘मोनिया’ कहकर पुकारते थे| मोनिया बड़ा ही शरारती था| एक बार बच्चों ने मिलकर मंदिर के खेल के ठाकुरजी को झूला-झूलाने का तय किया| ऐसे खेलों में वे मिट्टी की मूर्ति बना लेते थे, लेकिन इस बार उन्होंने सोचा कि लक्ष्मी नारायण के मंदिर से कुछ असली मूर्तियां उठा लाएं| फिर क्या था! पांच-छ: बच्चों की टोली मंदिर की ओर चल दी| निश्चय हुआ कि और बालक तो इधर-उधर छिपे रहें और सबसे छोटा ‘चंदू’ सिंहासन पर से मूर्तियां उठा लाए|
1 [ल]
यः कथ्यते मन्त्रविद अग्र्यबुद्धिर; औद्दालकिः शवेतकेतुः पृथिव्याम
तस्याश्रमं पश्य नरेन्द्र पुण्यं; सदा फलैर उपपन्नं मही जैः