Chapter 17
“Sanjaya said, ‘Then occurred that battle between Arjuna and Ashvatthamaresembling the planets Shukra and Brihaspati in splendour, like thebattle between Shukra and Brihaspati in the firmament for entering thesame constellation.
“Sanjaya said, ‘Then occurred that battle between Arjuna and Ashvatthamaresembling the planets Shukra and Brihaspati in splendour, like thebattle between Shukra and Brihaspati in the firmament for entering thesame constellation.
तुलसी को तुलसी माता के नाम से जाना जाता है| ऐसा माना जाता है की घर मे तुलसी का पोधा लगाने से पर्यावरण शुद्ध होता है अथवा सभी रोगों से रक्षा होती है| भगवान् विष्णु जी को तुलसी अति प्रिये थी| तुलसी माता की पूजा से सुख सम्पति का वास होता है तथा तुम्हारा हरी से अत्यंत प्यार होता है|
जेसे की पहले भी लिखा गया की नवरात्रि पर्व माँ दुर्गा और शारदा माँ, महालक्ष्मी माता जी की श्रदा मे बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है|
1 [ल]
कस्य चित तव अथ कालस्य सुराणाम अश्विनौ नृप
कृताभिषेकां विवृतां सुकन्यां ताम अपश्यताम
एक पण्डितजी महाराज क्रोध न करने पर उपदेश दे रहे थे| कह रहे थे – “क्रोध आदमी का सबसे बड़ा दुश्मन है, उससे आदमी की बुद्धि नष्ट हो जाती है| जिस आदमी में बुद्धि नहीं रहती, वह पशु बन जाता है|”
नुस्खा – मुलहठी, लाख, भुनी हल्दी, मजीठ तथा नील कमल के फूल – सभी चीजें समान मात्रा में सुखाकर चूर्ण बना लें|
Vaisampayana said, “When Yudhishthira, after saying these words, becamesilent, Arjuna, afflicted by that speech of the king, and burning withsorrow and grief, once more addressed his eldest brother, saying, ‘Peoplerecite this old history,
नाभानेदिष्ठ मनु के पुत्र थे| वे ब्रहमचर्य-आश्रम के अंतर्गत विधीयमान संस्कारो से युक्त होकर अपने गुरु के समीप वेदाध्ययन में रत रहते| जब पिता की संपत्ति के बँटवारे का समय आया तो नाभानेदिष्ठ के अन्य भाइयों ने आपस में सारी संपत्ति का भाग बाँट लिया और उन्हें कुछ भी नही दिया|