Home2011July (Page 58)

1 [भ] एवम उक्तः स भगवान मैत्रेयं परत्यभाषत
दिष्ट्यैवं तवं विजानासि दिष्ट्या ते बुद्धिर ईदृशी
लॊकॊ हय अयं गुणान एव भूयिष्ठं सम परशंसति

शबरीका जन्म भीलकुलमें हुआ था| वह भीलराजकी एकमात्र कन्या थी| उसका विवाह एक पशुस्वभावके क्रूर व्यक्तिसे निश्चय हुआ| अपने विवाहके अवसरपर अनेक निरीह पशुओंको बलिके लिये लाया गया देखकर शबरीका हृदय दयासे भर गया|

नीम खाने में कड़वी लगती है, लेकिन उसके गुण मीठे होते हैं| नीम में अमृत तत्त्व मौजूद हैं| यह कमजोर व्यक्ति को भी उठाकर बैठा देता है| निम्ब का अर्थ ही है – नीरोग करने वाला|

“Saunaka asked, ‘What great Rishis became the Ritwiks at thesnake-sacrifice of the wise king Janamejaya of the Pandava line? Who alsobecame the Sadasyas in that terrible snake-sacrifice, so frightful to thesnakes, and begetting such sorrow in them? It behoveth thee to describeall these in detail, so that, O son of Suta, we may know who wereacquainted with the rituals of the snake-sacrifice.’

एक बुढ़िया बड़ी सी गठरी लिए चली जा रही थी। चलते-चलते वह थक गई थी। तभी उसने देखा कि एक घुड़सवार चला आ रहा है। उसे देख बुढ़िया ने आवाज दी, ‘अरे बेटा, एक बात तो सुन।’ घुड़सवार रुक गया।