अध्याय 123
1 [भ]
एवम उक्तः स भगवान मैत्रेयं परत्यभाषत
दिष्ट्यैवं तवं विजानासि दिष्ट्या ते बुद्धिर ईदृशी
लॊकॊ हय अयं गुणान एव भूयिष्ठं सम परशंसति
1 [भ]
एवम उक्तः स भगवान मैत्रेयं परत्यभाषत
दिष्ट्यैवं तवं विजानासि दिष्ट्या ते बुद्धिर ईदृशी
लॊकॊ हय अयं गुणान एव भूयिष्ठं सम परशंसति
शबरीका जन्म भीलकुलमें हुआ था| वह भीलराजकी एकमात्र कन्या थी| उसका विवाह एक पशुस्वभावके क्रूर व्यक्तिसे निश्चय हुआ| अपने विवाहके अवसरपर अनेक निरीह पशुओंको बलिके लिये लाया गया देखकर शबरीका हृदय दयासे भर गया|
1 [य]
अहं ययातिर नहुषस्य पुत्रः; पूरॊः पिता सर्वभूतावमानात
परभ्रंशितः सुरसिद्धर्षिलॊकात; परिच्युतः परपताम्य अल्पपुण्यः
नीम खाने में कड़वी लगती है, लेकिन उसके गुण मीठे होते हैं| नीम में अमृत तत्त्व मौजूद हैं| यह कमजोर व्यक्ति को भी उठाकर बैठा देता है| निम्ब का अर्थ ही है – नीरोग करने वाला|
Dhritarashtra said, “Tell me, O Sanjaya, all that the mighty Partha didin battle when they heard that Iravat had been slain.”
“Vaisampayana said, ‘After two years had elapsed from the date of thereturn of the Pandavas (from the retreat of their sire), the celestialRishi, Narada, O king, came to Yudhishthira.
“Saunaka asked, ‘What great Rishis became the Ritwiks at thesnake-sacrifice of the wise king Janamejaya of the Pandava line? Who alsobecame the Sadasyas in that terrible snake-sacrifice, so frightful to thesnakes, and begetting such sorrow in them? It behoveth thee to describeall these in detail, so that, O son of Suta, we may know who wereacquainted with the rituals of the snake-sacrifice.’
एक बुढ़िया बड़ी सी गठरी लिए चली जा रही थी। चलते-चलते वह थक गई थी। तभी उसने देखा कि एक घुड़सवार चला आ रहा है। उसे देख बुढ़िया ने आवाज दी, ‘अरे बेटा, एक बात तो सुन।’ घुड़सवार रुक गया।