निन्यानवे का चक्कर
एक सेठ की हवेली थी| बगल में एक गरीब का छोटा-सा घर था| दोनों घरों की स्त्रियाँ जब आपस में मिलती थीं, तब एक-दूसरे से पूछती थीं कि आज तुमने क्या रसोई बनायी?
एक सेठ की हवेली थी| बगल में एक गरीब का छोटा-सा घर था| दोनों घरों की स्त्रियाँ जब आपस में मिलती थीं, तब एक-दूसरे से पूछती थीं कि आज तुमने क्या रसोई बनायी?
Sanjaya said, “The Pandavas were incapable of even looking at Bhishmaexcited with rage in battle and scorching every side like the Sun himselfshedding scorching heat.
“Sauti said, ‘Hearing this story of the re-appearance and departure ofhis forefathers, king Janamejaya of great intelligence became highlypleased.
‘Sauti continued, ‘The ministers said, ‘That king of kings then, spentwith hunger and exertion, and having placed the snake upon the shouldersof that Muni, came back to his capital.
इसकी प्रकृति गर्म है तथा इसका स्वाद कुछ चरपरा होता है| यह सर्दी व कफ को नष्ट करता है| खांसी आदि श्वास रोग में भी लाभकारी है| इससे पाचन-क्रिया में सुधार पैदा होता है तथा वायु से उत्पन्न पीड़ा भी नष्ट हो जाती है| इसका सेवन शरीर के अनेक रोगों में लाभकारी है|
एक दिन राजा जनक ने महर्षि याज्ञवल्क्य से पूछा, ‘महात्मन्! बताइए कि एक व्यक्ति किस ज्योति से देखता है और काम लेता है?’ याज्ञवल्क्य ने कहा, ‘यह तो बिल्कुल बच्चों जैसी बात पूछी आपने महाराज।
Janamejaya said, ‘After having delivered Duryodhana, what did the mightysons of Pandu do in that forest? It behoveth thee to tell me this.’