Home2011July (Page 52)

एक सेठ की हवेली थी| बगल में एक गरीब का छोटा-सा घर था| दोनों घरों की स्त्रियाँ जब आपस में मिलती थीं, तब एक-दूसरे से पूछती थीं कि आज तुमने क्या रसोई बनायी?

इसकी प्रकृति गर्म है तथा इसका स्वाद कुछ चरपरा होता है| यह सर्दी व कफ को नष्ट करता है| खांसी आदि श्वास रोग में भी लाभकारी है| इससे पाचन-क्रिया में सुधार पैदा होता है तथा वायु से उत्पन्न पीड़ा भी नष्ट हो जाती है| इसका सेवन शरीर के अनेक रोगों में लाभकारी है|

एक दिन राजा जनक ने महर्षि याज्ञवल्क्य से पूछा, ‘महात्मन्! बताइए कि एक व्यक्ति किस ज्योति से देखता है और काम लेता है?’ याज्ञवल्क्य ने कहा, ‘यह तो बिल्कुल बच्चों जैसी बात पूछी आपने महाराज।