Chapter 25
“Sanjaya said, ‘Thou askest me about the feats of Arjuna in battle.Listen, O thou of mighty arms, to what Partha achieved in the fight.
“Sanjaya said, ‘Thou askest me about the feats of Arjuna in battle.Listen, O thou of mighty arms, to what Partha achieved in the fight.
किसी जमाने में एक राजा था| वह बड़ा नेक था| अपनी प्रजा की भलाई के लिए प्रयत्न करता रहता था| उसने अपने राज्य में घोषणा करा दी थी कि शाम तक बाजार में किसी की कोई चीज न बचे, अगर बचेगी तो वह स्वयं उसे खरीद लेगा, इसलिए शाम को जो भी चीज बच जाती, वह उसे खरीद लेता|
“Vyasa said, ‘These, then, are the obligatory acts ordained forBrahmanas. One possessed of knowledge always attains to success by goingthrough (the prescribed) acts.
1 [महेष्वर]
तिलॊत्तमा नाम पुरा बरह्मणा यॊषिद उत्तमा
तिलं तिलं समुद्धृत्य रत्नानां निर्मिता शुभा
मूत्र विकार के अंतर्गत कई रोग आते हैं जिनमें मूत्र की जलन, मूत्र रुक जाना, मूत्र रुक-रुककर आना, मूत्रकृच्छ और बहुमूत्र प्रमुख हैं| यह सभी रोग बड़े कष्टदायी होते हैं| यदि इनका यथाशीघ्र उपचार न किया जाए तो घातक परिणाम भुगतने पड़ते हैं|