तपस्वी पर राजा का क्रोध
जंगल में ढूढ़ता-ढांढ़ता राजा उस तपस्वी के निकट पंहुचा जो घोर तपस्या कर रहा था| उसका मुख दूसरी ओर था| इसलिए राजा उसे पहचान नहीं पाया कि वह कौन है|
जंगल में ढूढ़ता-ढांढ़ता राजा उस तपस्वी के निकट पंहुचा जो घोर तपस्या कर रहा था| उसका मुख दूसरी ओर था| इसलिए राजा उसे पहचान नहीं पाया कि वह कौन है|
1 Then Joseph went in and told Pharaoh, and said, My father and my brethren, and their flocks, and their herds, and all that they have, are come out of the land of Canaan; and, behold, they are in the land of Goshen.
“Yudhishthira said, ‘Amongst the diverse kinds of sacrifices, all ofwhich, of course, are regarded to have but one object (viz., thecleansing of the heart or the glory of God), tell me, O grandsire, whatthat sacrifice is which has been ordained for the sake only of virtue andnot for the acquisition of either heaven or wealth!'[1283]
सूरजगढ़ देश में एक राजा था हुकुम सिंह | उसके राज्य में सब तरफ सुख-शांति थी | प्रजा बहुत मेहनती और सुखी थी | चारों ओर हरियाली और खुशहाली का साम्राज्य था |
1 [ज]
कृपस्यापि महाब्रह्मन संभवं वक्तुम अर्हसि
शरस्तम्भात कथं जज्ञे कथं चास्त्राण्य अवाप्तवान