अध्याय 118
1 [ध]
पाण्डॊर विदुर सर्वाणि परेतकार्याणि कारय
राजवद राजसिंहस्य माद्र्याश चैव विशेषतः
“Vaisampayana said, ‘When Devayani of sweet smiles heard of the birth ofthis child, she became jealous, and O Bharata, Sarmishtha became anobject of her unpleasant reflections. And Devayani, repairing to her,addressed her thus, ‘O thou of fair eye-brows, what sin is this thou hastcommitted by yielding to the influence of lust?’
Dhritarashtra said, ‘Alas, what was the state of (my) warriors, OSanjaya, when they were deprived of the mighty and god-like Bhishma whohad become a Brahmacharin for the sake of his reverend sire?
“Markandeya continued, ‘O lord of men, the beautiful Siva endowed withgreat virtues and an unspotted character was the wife of Angiras (one ofthe seven Rishis).
एक बार महात्मा गांधी को प्रवासियों पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाने के कारण जोहान्सबर्ग की जेल में बंद कर दिया गया। लेकिन थोड़े ही दिनों के बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। कुछ शरारती तत्वों ने यह अफवाह फैला दी कि गांधी जी ने सरकार से समझौता कर लिया है और प्रवासियों पर हो रहे अत्याचारों के खिलाफ आवाज न उठाने का वचन दिया है।
एक दिन राजा हरिश्चंद्र वन में आखेट के लिए गए हुए थे| तभी उनके कानो में किसी की पुकार सुनाई दी, “मेरी रक्षा करो..मेरी रक्षा करो राजन!”
महाभारत का युद्ध अट्ठारह दिन चला था| पहले दस दिन तक कौरव-दल के प्रधान सेनापति भीष्म थे|
1 [मार्क]
एवम उक्तस तु विप्रेण धर्मव्याधॊ युधिष्ठिर
परत्युवाच यथा विप्रं तच छृणुष्व नराधिप
1 And it came to pass after these things, that one said to Joseph, Behold, thy father is sick: and he took with him his two sons, Manasseh and Ephraim.