देवताओं का विरोध
देवराज जानते थे कि दो ऋषियों के बीच हुए विवाद में फंसने से कोई लाभ होने वाला नहीं है| वे दोनों महर्षि के स्वभाव से भी भली-भाति परिचित थे| इंद्र भली-भाति जानते थे कि विश्वामित्र के मन में क्यों वशिष्ठ के प्रति ईर्ष्या का भाव है|
देवराज जानते थे कि दो ऋषियों के बीच हुए विवाद में फंसने से कोई लाभ होने वाला नहीं है| वे दोनों महर्षि के स्वभाव से भी भली-भाति परिचित थे| इंद्र भली-भाति जानते थे कि विश्वामित्र के मन में क्यों वशिष्ठ के प्रति ईर्ष्या का भाव है|
1 And Jacob called unto his sons, and said: gather yourselves together, that I may tell you that which shall befall you in the latter days.
“Yudhishthira said, ‘Amongst the diverse kinds of sacrifices, all ofwhich, of course, are regarded to have but one object (viz., thecleansing of the heart or the glory of God), tell me, O grandsire, whatthat sacrifice is which has been ordained for the sake only of virtue andnot for the acquisition of either heaven or wealth!'[1283]
बहुत पहले की बात है | अफ्रीका में मंडल नाम का एक व्यक्ति रहता था | उसके पास ढेरों गाएं थीं | इसके अतिरिक्त बकरियां, हिरन व घोड़े भी उसने पाल रखे थे |