अध्याय 178
1 [य]
भवान एतादृशॊ लॊके वेदवेदाङ्गपारगः
बरूहि किं कुर्वतः कर्म भवेद गतिर अनुत्तमा
प्राचीन समय में भद्राचलम नाम का एक राज्य था| उस राज्य का स्वामी महेन्द्रादित्य नाम का एक राजा था| राजा महेन्द्रादित्य के दो बेटे थे| बड़े बेटे का नाम सुबल कुमार और छोटे बेटे का नाम निर्मल कुमार था|
प्याज का सेवन अधिकतर लोग इसलिये नहीं करते क्योंकि इसमें बहुत तीव्र गंध आती है, विशेषकर कच्ची प्याज में| इसकी प्रकृति ठंडी होती है तथा यह गर्मी को शांत करती है| इसके सेवन से पाचन-क्रिया प्रदीप्त होती है| यह अत्यंत धातुवर्धक तथा बलवर्धक है| इसका सेवन यदि थोड़ी मात्रा में किया जाए, तो छाती में जमे हुए कफ को यह निकाल बाहर करती है तथा मूत्र साफ लाने में भी सहायक है| लू से बचाव करने में भी यह अद्वितीय है|
एक सिंह का शावक युवा हो गया| तब उसने जाना कि शेर जंगल का राजा होता है| उसने इसकी सत्यता जाननी चाही| वह अपनी माँद से निकला, गरजा और भागते हुए जानवरों को देख प्रसन्न हो गया|
“Vyasa said, ‘The mind creates (within itself) numerous ideas (of objectsor existent things). The Understanding settles which is which.