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बहुत समय पहले हरिद्वार के कनखल क्षेत्र में एक दक्षिण भारतीय ब्राह्मण रहता था| उसके तीन बेटे थे| युवा होने पर ब्राह्मण ने उन्हें विद्या प्राप्त करने के लिए राजगृह भेज दिया| जब वे तीनों अपनी शिक्षा पूरी करके घर लौटे तो कुछ ही दिन पश्चात उनके पिता का देहांत हो गया|

रसना सांपिनी बदन बिल जे न जपहिं हरिनाम|
तुलसी प्रेम न राम सों ताहि बिधाता बाम|