अध्याय 94
1 [व]
तस्मिन्न अभिहिते वाक्ये केशवेन महात्मना
सतिमिता हृष्टरॊमाण आसन सर्वे सभासदः
Dhritarashtra said, “How did Sikhandin advance against the son of Gangain battle, and how did Bhishma also advance against the Pandavas? Say allthis unto me, O Sanjaya!”
“Vaisampayana said, ‘Then the king with his followers, having killedthousands of animals, entered another forest with a view to hunting. Andattended by a single follower and fatigued with hunger and thirst, hecame upon a large desert on the frontiers of the forest.
Vaisampayana said, “Having heard these words of Karna, king Duryodhanabecame highly pleased. Soon after, however, the prince became melancholyand addressing the speaker said, ‘What thou tellest me, O Karna, isalways before my mind.
एक गुरुकुल में दो राजकुमार पढ़ते थे। दोनों में गहरी मित्रता थी। एक दिन उनके आचार्य दोनों को घुमाने ले गए। घूमते हुए वे काफी दूर निकल गए। तीनों प्राकृतिक शोभा का आनंद ले रहे थे। तभी आचार्य की नजर आम के एक पेड़ पर पड़ी। एक बालक आया और पेड़ के तने पर डंडा मारकर फल तोड़ने लगा। आचार्य ने राजकुमारों से पूछा, ‘क्या तुम दोनों ने यह दृश्य देखा?’
1 [मार्क]
स एवम उक्तॊ राजर्षिर उत्तङ्केनापराजितः
उत्तङ्कं कौरवश्रेष्ठ कृताञ्जलिर अथाब्रवीत
कुत्तों के एक दल को कई दिनों तक कुछ भी खाने को नहीं मिला| भूखे कुत्ते भोजन की खोज में इधर-उधर भटकते रहे| भूख से उनकी हालत दयनीय हो गयी थी| अंत में वे एक तालाब के पास पहुँचे, जिसके तल में चमड़ा फुलाया गया था| चमड़े को निकालने का उन्होंने अनथक प्रयास किया, मगर वे सफल न हुए|