Home2011June (Page 14)

“Janamejaya said, ‘O Brahmana, those thou hast named and those thou hastnot named, I wish to hear of them in detail, as also of other kings bythousands. And, O thou of great good fortune, it behoveth thee to tell mein full the object for which those Maharathas, equal unto the celestialsthemselves, were born on earth.’

बात उन दिनों की है जब महाराज युधिष्ठिर इंद्रप्रस्थ पर राज्य करते थे। राजा होने के नाते वे काफी दान आदि भी करते थे। धीरे-धीरे उनकी प्रसिद्धि दानवीर के रूप में फैलने लगी और पांडवों को इसका अभिमान होने लगा।