अध्याय 97
1 [व]
ततः सत्यवती दीना कृपणा पुत्रगृद्धिनी
पुत्रस्य कृत्वा कार्याणि सनुषाभ्यां सह भारत
Dhritarashtra said, “How, O Sanjaya, did Alamvusha resist in combat theheroic son of Arjuna smiting many of our mighty car-warriors in battle?
“Vaisampayana said, ‘There was a king of the name of Uparichara. Thatmonarch was devoted to virtue. He was very much addicted also to hunting.That king of the Paurava race, called also Vasu, conquered the excellentand delightful kingdom of Chedi under instructions from Indra. Some timeafter, the king gave up the use of arms and, dwelling in a secludedretreat, practised the most severe austerities.
Vaisampayana said, “Then those Gandharvas decked in golden garlands andaccomplished in celestial weapons, showing their blazing shafts,encountered the Pandavas from every side.
एक रानी नहाकर अपने महल की छत पर बाल सुखाने के लिए गई। उसके गले में एक हीरों का हार था, जिसे उतार कर वहीं आले पर रख दिया और बाल संवारने लगी।
पूर्व काल में हर्षपुर नाम का एक विशाल नगर था| इस समृद्ध नगर का स्वामी राजा हर्षदत्त था, जिसके सुप्रबंध के कारण नगर की प्रजा बड़े सुख से रहती थी|
एक समय एक हाथी ने एक आदमी का पीछा करना आरम्भ कर दिया| परेशान आदमी भागा, मगर हाथी निकट आता जा रहा था| आदमी ने एक सूखे कुएँ को देखा| उसमें छलाँग लगा दी| तभी नीचे घुमते हुए सर्पों पर दृष्टि गयी| पीपल की एक मोटी डाली निकट थी| आदमी ने उसे पकड़ लिया|
1 And Jehovah spake unto Moses, after the death of the two sons of Aaron, when they drew near before Jehovah, and died;