अध्याय 150
1 [वै]
करिष्य इति भीमेन परतिज्ञाते तु भारत
आजग्मुस ते ततः सर्वे भैक्षम आदाय पाण्डवाः
होरोशियों नेलसन एक दरिद्र लड़का था| जब उसके मामा मारीच साक्लेंग एक समुंद्री जलयान के कप्तान बने, तब उनके भांजे ने पत्र लिखकर उनसे प्रार्थना की कि वह उन्हें किसी नौकरी पर लगा दे|
ब्राह्मण वेशधारी विश्वामित्र एक बूढ़ी औरत के पास उसकी देखभाल करने के लिए शैव्या और रोहिताश्व को छोड़कर वापस विश्वामित्र के रूप में राजा हरिश्चंद्र के पास आए|
एक गांव में करैलची नाम का एक किसान रहता था | उसकी आमदनी इतनी अच्छी थी कि अपनी पत्नी और बेटी का पेट आसानी से पाल सके | करैलची ने अपनी बेटी किराली को बहुत लाड़-प्यार से पाला था | किराली अपने पिता को बहुत प्यार करती थी |
1 [विदुरा]
अथैतस्याम अवस्थायां पौरुषं हातुम इच्छसि
निहीन सेवितं मार्गं गमिष्यस्य अचिराद इव
“Vaisampayana said, ‘Pandu, then, at the command of Dhritarashtra,offered the wealth he had acquired by the prowess of his arms to Bhishma,their grand-mother Satyavati and their mothers. And he sent portion ofhis wealth to Vidura also.
“Krishna said, ‘I desire, O Sanjaya, that the sons of Pandu may not beruined; that they may prosper, and attain their wishes. Similarly, I prayfor the prosperity of king Dhritarashtra whose sons are many.
Vaisampayana said, “Then the sons of Pandu again addressed Markandeyasaying, ‘Thou hast told us of greatness of Brahmanas. We desire now tohear of the greatness of the royal Kshatriyas!”
एक पंडित काशी से पढकर आये| ब्याह हुआ, स्त्री आयी| कई दिन हो गये| एक दिन स्त्री ने प्रश्न पूछा कि ‘पंडित जी महाराज! यह बताओ कि पापका बाप कौन है?’ पंडित जी पोथी देखते रहे, पर पता नहीं लगा, उत्तर नहीं दे सके| अब बड़ी शर्म आयी कि स्त्री पूछती है पापका बाप कौन है? हमने पढ़ाई की, पर पता नहीं लगा| वे वापस काशी जाने लगे| मार्ग में ही एक वैश्या रहती थी|
“The Brahmana’s wife said, ‘This is incapable of being understood by aperson of little intelligence as also by one whose soul has not beencleansed.