Chapter 27
“Sanjaya said, ‘O Pandava, the world hath heard thy conduct beingrighteous. I see it also to be so, O son of Pritha.
“Sanjaya said, ‘O Pandava, the world hath heard thy conduct beingrighteous. I see it also to be so, O son of Pritha.
नमः शम्भवे च मयोभवे च नमः शंकाराय च ।
मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च ।।
Vaisampayana said, “The son of Pandu again addressed the Rishi and said,’Speak thou unto us of the high fortune of royal Kshatriyas!’
एक महात्मा थे| वे पैदल घूम-घूमकर सत्संग का प्रचार किया करते थे| वे एक गांव में जाते, कुछ दिन ठहरकर सत्संग करते और फिर वहाँ से दूसरे गांव चल देते| घूमते घूमते वे एक गांव में पहुँचे| गांव में सब जगह प्रचार हो गया कि महाराज जी पधारे हैं, आज अमुक जगह सत्संग होगा| सत्संग के समय बहुत से भाई बहन इकट्ठे हुए|
“The Brahmana said, ‘In this connection is cited the old narrative, Olady, of the discourse between a Brahmana and (king) Janaka.
एक दिन कुला, भुला और भागीरथ तीनों ही मिलकर गुरु अर्जन देव जी के पास आए| उन्होंने आकर प्रार्थना की कि हमें मौत से बहुत डर लगता है| आप हमें जन्म मरण के दुख से बचाए|
एक दिन सुल्तान्पुत के निवासी कालू, चाऊ, गोइंद, घीऊ, मूला, धारो, हेमा, छजू, निहाला, रामू, तुलसा, साईं, आकुल, दामोदर, भागमल, भाना, बुधू छीम्बा, बिखा और टोडा भाग मिलकर गुरु अर्जन देव जी के पास आए| उन्होंने आकर प्रार्थना की कि महाराज! हम रोज सवेरे उठकर स्नान करके गुरबानी का पाठ करने के बाद ही अपनी कृत करते हैं|
एक दिन श्री गुरु अर्जन देव जी के पास दो सिख हाजिर हुए| उन्होंने आकर गुरु जी से प्रार्थना की कि गुरु जी! हम सदैव दुखी रहते हैं| हमे सुख किस प्रकार प्राप्त हो सकता है? हम अपने दुखों से निजात पाना चाहते हैं| इसलिए गुरु जी आप ही हमें दुखों से बाहर निकाल सकते हैं| हमे इसका कोई उपाय बताएँ|