पपैया रे पिवकी बाणि न बोल
पपैया रे पिवकी बाणि न बोल।
सुणि पावेली बिरहणी रे थारी रालेली पांख मरोड़॥
प्राचीनकाल में एक व्यापारी था | जिसका नाम था नजूमी | उसने अपने पिता का व्यापार कुछ समय पहले संभाला था |
1 And Abraham journeyed from thence toward the land of the South, and dwelt between Kadesh and Shur. And he sojourned in Gerar.
“Bhishma said, ‘Once again Janaka, the ruler of Mithila, questioned thehigh-souled Parasara endued with certain knowledge in respect of allduties.’
1 [कुन्ती]
कुतॊ मूलम इदं दुःखं जञातुम इच्छामि तत्त्वतः
विदित्वा अपकर्षेयं शक्यं चेद अपकर्षितुम
एक गांव में एक जार रहता था | उसके तीन बेटे थे | वह चाहता था कि उसके बेटों का विवाह बहुत सुंदर और सुशील लड़कियों से हो | परंतु अपनी इच्छानुसार लड़कियां मिलना आसान नहीं था |
अत्यधिक विचलित होकर राजा हरिश्चंद्र उठ खड़े हुए और लोगो को पुकार-पुकार कर कहने लगे, “नगरवासियों! मेरी बात सुनो| यह मत पूछियेगा कि मै कौन हूं|
“Vaisampayana said. ‘The large-eyed daughter of Kuntibhoja, Pritha byname, was endued with beauty and every accomplishment. Of rigid vows, shewas devoted to virtue and possessed of every good quality.