पूर्ण सिक्ख के लक्षण व सिक्खी धारण योग्य बातें – साखी श्री गुरु गोबिंद सिंह जी
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने वचन किया कि हे सिक्खो! जिस का जीवन धर्म के लिए है और अपना आचरण गुर-मर्यादा के अनुसार रखता है, वही पूरण सिक्ख है|
श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने वचन किया कि हे सिक्खो! जिस का जीवन धर्म के लिए है और अपना आचरण गुर-मर्यादा के अनुसार रखता है, वही पूरण सिक्ख है|
एक दिन उजैन शहर के रहने वाले एक सिक्ख बशंबर दास ने गुरु जी के आगे प्रार्थना की कि सच्चे पातशाह! मुझे धन कि बख्शिश करो| मेरे घर बड़ी गरीबी है|
सिक्खों ने पांच प्रकार की सिक्खी का उल्लेख सुनकर श्री गुरु गोबिंद सिंह जी से प्रार्थना कि महाराज! हमें पाहुल व अमृत का उल्लेख बताओ| गुरु जी ने फरमाया कि भाई! तंत्र-मन्त्र आदि कार्य कि सिद्धि के लिए प्रसिद्ध है, परन्तु वाहिगुरू-मन्त्र जो चारों वर्णों को एक करने वाला है, इससे सभी सिद्ध हो जाते है|
एक दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी दीवान की ओर आ रहे थे कि रास्ते में एक सिक्ख दीवार पर लेप कर रहा था| दीवार के ऊपर लेप मारते समय उससे गुरु जी के पाजामे के ऊपर चिकड़ के छींटे पड़ गए|
“Vaisampayana continued, ‘There was amongst the Yadavas a chief namedSura. He was the father of Vasudeva. And he had a daughter called Pritha,who was unrivalled for beauty on earth.
एक दिन एक सिक्ख श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की शरण में “दखणी ओंकार” का पाठ पढ़ रहा था| गुरु जी उसकी मीठी व सुन्दर आवाज़ के साथ बाणी का पाठ बड़े प्रेम से सुन रहे थे| परन्तु जब उसने यह चरण –
आनंदपुर में सिक्ख संगत ने अपने अपने डेरों में लंगर लगाए हुए थे| गुरू जी ने जब इनकी शोभा सुनी कि गुरु की नगरी में आने वाला कोई भी रोटी से भूखा नहीं रहता तो एक दिन रात के समय गुरु जी आप एक गरीब सिक्ख का वेष धारण करके इनकी परीक्षा लेने चल पड़े|
एक दिन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिक्खों को शिक्षा देने के लिए शेर की खाल रात के समय एक गधे को पहना दी| उस गधे को बाहर खेतों में छोड़ दिया| हरे खेत खाकर गधा बहुत मस्त हो गया|
“The Pitris said, ‘In this connection is cited this old history. Havingheard it, thou shouldst act according to it, O foremost of all regeneratepersons.