प्यार के बदले प्यार
एक गांव के किनारे बनी कुटिया में एक साधु रहता था | वह दिन भर ईश्वर का भजन-कीर्तन करके समय बिताता था | उसे न तो अपने भोजन की चिंता रहती थी और न ही धन कमाने की | गांव के लोग स्वयं ही उसे भोजन दे जाते थे |
एक गांव के किनारे बनी कुटिया में एक साधु रहता था | वह दिन भर ईश्वर का भजन-कीर्तन करके समय बिताता था | उसे न तो अपने भोजन की चिंता रहती थी और न ही धन कमाने की | गांव के लोग स्वयं ही उसे भोजन दे जाते थे |
“Vaisampayana said, ‘Thus asked, the tiger among Munis then answeredthose Rishis of ascetic wealth, ‘Whom shall I blame for this?
दोपहर तक राजा हरिश्चंद्र अपनी पत्नी शैव्या और पुत्र रोहिताश्व के साथ नगर में भटकते रहे, परन्तु उन्हें कहीं कम नहीं मिला| हारकर वे बाजार में एक किनारे बैठ गए और अपनी पत्नी से बोले, “शैव्या! आज एक महिना पूरा हो रहा है|
“The Brahmana said, ‘Having crossed that impassable fastness (the world)which has purposes for its gadflies and mosquitoes, grief and joy for itscold and heat, heedlessness for its blinding darkness, cupidity anddiseases for its reptiles, wealth for its one danger on the road, andlust and wrath its robbers, I have entered the extensive forest of(Brahman)’.
“Vaisampayana said, ‘Having beard these words of king DhritarashtraSanjaya went to Upaplavya to see the Pandavas of immeasurable strength.
नुस्खा
सोंठ, सौंफ, सनाय, छोटी हरड़ और सेंधा नमक – सभी चीजें समान मात्रा में कूट-पीसकर महीन चूर्ण बना लें|
Vaisampayana said, “King Yudhishthira, hearing from the illustriousMarkandeya the story of the royal sage Indradyumna’s regaining of Heaven,again asked the Muni, saying, ‘O great Muni, tell me in what conditionshould a man practise charity in order to gain admission into the regionsof Indra?