Home2011May (Page 41)

एक गांव के किनारे बनी कुटिया में एक साधु रहता था | वह दिन भर ईश्वर का भजन-कीर्तन करके समय बिताता था | उसे न तो अपने भोजन की चिंता रहती थी और न ही धन कमाने की | गांव के लोग स्वयं ही उसे भोजन दे जाते थे |

दोपहर तक राजा हरिश्चंद्र अपनी पत्नी शैव्या और पुत्र रोहिताश्व  के साथ नगर में भटकते रहे, परन्तु उन्हें कहीं कम नहीं मिला| हारकर वे बाजार में एक किनारे बैठ गए और अपनी पत्नी से बोले, “शैव्या! आज एक महिना पूरा हो रहा है|