अध्याय 71
1 केन वृत्तेन वृत्तज्ञ वर्तमानॊ महीपतिः
सुखेनार्थान सुखॊदर्कान इह च परेत्य चाप्नुयात
“Parasara said, ‘The lowest order, it is proper, should derive theirsustenance from the three other orders. Such service, rendered withaffection and reverence, makes them righteous.
1 [वै]
परबुद्धास ते हिडिम्बाया रूपं दृष्ट्वातिमानुषम
विस्मिताः पुरुषा वयाघ्रा बभूवुः पृथया सह
बहुत पहले की बात है | एक भिखारी सड़क के किनारे रहा करता था | उसका न तो कोई रहने का ठिकाना था और न ही कमाई का कोई निश्चित जरिया |
आप उन्हें बापू कहो या महात्मा दुनिया उन्हें इसी नाम से जानती हैं, अहिंसा और सत्याग्रह के संघर्ष से उन्होंने भारत को अंग्रेजो के स्वतंत्रता दिलाई, उनका ये काम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया, वो हमेशा कहते थे बुरा मत देखो, बुरा मत सुनो, बुरा मत कहो, और उनका मानना था की सच्चाई कभी नहीं हारती, इस महान इन्सान को भारत में राष्ट्रपिता घोषित कर दिया, उनका पूरा नाम ‘मोहनदास करमचंद गांधी‘ था|
“Janamejaya said, ‘What did the god of justice do for which he wascursed? And who was the Brahmana ascetic from whose curse the god had tobe born in the Sudra caste?’
“The Brahmana said, ‘There is one Ruler. There is no second beside him.He that is Ruler resides in the heart. I shall speak now of him.
“Dhritarashtra said, ‘They say, O Sanjaya, that the Pandavas have arrivedat Upaplavya. Go thou and enquire after them.