गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा
गोबिन्द कबहुं मिलै पिया मेरा।
1 And there was a famine in the land, besides the first famine that was in the days of Abraham. And Isaac went unto Abimelech king of the Philistines, unto Gerar.
“Parasara said, ‘Nobody in this world does good to another. Nobody isseen to make gifts to others. All persons are seen to act for their ownselves.
एक बार एक गांव में एक किसान रहता था, परिवार अत्यंत गरीब था और उनकी रोटी की गुजर-बसर मुश्किल से ही हो पाती थी | किसान के विवाह को आठ वर्ष हो चुके थे | परंतु उनके कोई संतान न थी | किसान और उसकी पत्नी को गरीबी का इतना दुख न था, जितना संतान न होने का |
सिमकी का गरीबी के मारे बुरा हाल था | उसके घर में कई-कई दिन तक भोजन नसीब नहीं होता था | उसकी पत्नी रोजिया उसे रोज समझाती कि समझ और मेहनत से काम किया करो, परंतु सिमकी बहुत सीधा, भोला-भाला, मासूम था | इसी कारण हर जगह धोखा खा जाता था |
“Vaisampayana said, ‘Soon after the monthly season of the princess ofKosala had been over, Satyavati, purifying her daughter-in-law with abath, led her into the sleeping apartment. There seating her upon aluxurious bed, she addressed her, saying, ‘O Princess of Kosala, thyhusband hath an elder brother who shall this day enter thy womb as thychild.
“The Brahmana said, ‘In this connection is recited the ancient story ofwhat the institution is of the Chaturhotra (sacrifice). The ordinancesare now being duly declared of that in its entirety.
रोहिताश्व की भूख को देखकर राजा हरिश्चंद्र का धैर्य डगमगाने लगा| संतान का दुःख असहनीय होता है| उन्होंने गंगा के जल में तैरते हुए हंसों को दिखाकर बालक का मन बहलान चाह, परन्तु बच्चा भूख-भूख चिल्ला रहा था|