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एक बार एक गांव में एक किसान रहता था, परिवार अत्यंत गरीब था और उनकी रोटी की गुजर-बसर मुश्किल से ही हो पाती थी | किसान के विवाह को आठ वर्ष हो चुके थे | परंतु उनके कोई संतान न थी | किसान और उसकी पत्नी को गरीबी का इतना दुख न था, जितना संतान न होने का |

सिमकी का गरीबी के मारे बुरा हाल था | उसके घर में कई-कई दिन तक भोजन नसीब नहीं होता था | उसकी पत्नी रोजिया उसे रोज समझाती कि समझ और मेहनत से काम किया करो, परंतु सिमकी बहुत सीधा, भोला-भाला, मासूम था | इसी कारण हर जगह धोखा खा जाता था |

“Vaisampayana said, ‘Soon after the monthly season of the princess ofKosala had been over, Satyavati, purifying her daughter-in-law with abath, led her into the sleeping apartment. There seating her upon aluxurious bed, she addressed her, saying, ‘O Princess of Kosala, thyhusband hath an elder brother who shall this day enter thy womb as thychild.

रोहिताश्व की भूख को देखकर राजा हरिश्चंद्र का धैर्य डगमगाने लगा| संतान का दुःख असहनीय होता है| उन्होंने गंगा के जल में तैरते हुए हंसों को दिखाकर बालक का मन बहलान चाह, परन्तु बच्चा भूख-भूख चिल्ला रहा था|