अध्याय 50
1 [वैषम्पायन]
ततॊ रामस्य तत कर्म शरुत्वा राजा युधिष्ठिरः
विस्मयं परमं गत्वा परत्युवाच जनार्दनम
1 [वैषम्पायन]
ततॊ रामस्य तत कर्म शरुत्वा राजा युधिष्ठिरः
विस्मयं परमं गत्वा परत्युवाच जनार्दनम
1 And the man knew Eve his wife; and she conceived, and bare Cain, and said, I have gotten a man with [the help of] Jehovah.
दातादीन अपने लड़के गोपाल को नित्य शाम को सोने से पहले कहानियाँ सुनाया करता था| एक दिन उसने गोपाल से कहा- ‘बेटा! एक बात कभी मत भूलना कि भगवान् सब कहीं हैं|
माता चिन्तपुरनी हिमाचल मे स्थित प्रमुख धार्मिक स्थलों मे से एक है|
“Vaisampayana said, ‘Then Bhishma and Kunti with their friends celebratedthe Sraddha of the deceased monarch, and offered the Pinda. And theyfeasted the Kauravas and thousands of Brahmanas unto whom they also gavegems and lands.
“Dhritarashtra said, ‘What is the object of asceticism (mauna)? Of thetwo kinds of mauna (viz., the restraining of speech and meditation),which is approved by thee?
भीम को यह अभिमान हो गया था कि संसार में मुझसे अधिक बलवान कोई और नहीं है| सौ हाथियों का बल है उसमें, उसे कोई परास्त नहीं कर सकता… और भगवान अपने सेवक में किसी भी प्रकार का अभिमान रहने नहीं देते| इसलिए श्रीकृष्ण ने भीम के कल्याण के लिए एक लीला रच दी|
Vaisampayana continued, “Yudhishthira, finding his beloved brother coiledby the body of the serpent, said these words: ‘O son of Kunti, how hastthou come by this misfortune!
गृहस्थी में रहने वाले एक बड़े अच्छे त्यागी पंडित थे| त्याग साधुओं का ठेका नहीं है| गृहस्थमें, साधुमें, सभी में त्याग हो सकता है| त्याग साधु वेष में ही हो; ऐसी बात नहीं है| पण्डित जी बड़े विचारवान थे| भागवत की कथा कहा करते थे| एक धनी आदमी ने उनसे दीक्षा ली और कहा-‘महाराज! कोई सेवा बताओ|’