Chapter 352
‘Brahma said,–‘Listen, O son, as to how that Purusha is indicated. He iseternal and immutable. He is undeteriorating and immeasurable. Hepervades all things.
‘Brahma said,–‘Listen, O son, as to how that Purusha is indicated. He iseternal and immutable. He is undeteriorating and immeasurable. Hepervades all things.
खांसी अपने आप में कोई रोग नहीं नहीं वरन् यह दूसरे रोगों का लक्षण मात्र है| खांसी पांच प्रकार की होती है – तीन प्रकार की खांसी वात, पित्त और कफ के बिगड़ने से, चौथी कीड़ों में उत्पन्न होने से और पांचवीं टी.बी. रोग से|
1 [सूत]
जनमेजयः पारिक्षितः सह भरातृभिः कुरुक्षेत्रे दीर्घसत्त्रम उपास्ते
तस्य भरातरस तरयः शरुतसेनॊग्रसेनॊ भीमसेन इति
माता सरस्वती जी को ज्ञान और बुद्धि की माता माना जाता है| मनुष्य को कोई भी ज्ञान इनकी पूजा के बिना संभव नहीं है| देवी सरस्वती वेदों की जननी है| कोई भी बिना ज्ञान के मुक्ति नहीं पा सकता। लोग पूजा के बाद देवी सरस्वती जी की आरती सम्पूर्ण ज्ञान और बुद्धि के आशीर्वाद की प्राप्ति के लिये करते है।
1 [युधिस्ठिर]
मुहूर्तं तावद एकाग्रॊ मनः शरॊत्रे ऽनतरात्मनि
धारयित्वापि ते शरुत्वा रॊचतां वचनं मम
1 भीष्म उवाच
ततः शिखण्डिनॊ माता यथातत्त्वं नराधिप
आचचक्षे महाबाहॊ भर्त्रे कन्यां शिखण्डिनीम
“Vaisampayana continued, ‘Then Kunti spoke unto Bhimasena and Arjuna andthe twins regarding the journey to Panchala. They all said, ‘So be it.’Then, O king, Kunti with her sons saluted the Brahmana (in whose housethey had dwelt) and set out for the delightful town of the illustriousDrupada.’
“Vaisampayana said, ‘Meanwhile, understanding from his spies that theslayer of Madhu had set out, Dhritarashtra,