Home2011March (Page 33)

“Vaisampayana said ‘Then Vaka, huge as a mountain, thus broken (onBhima’s knee), died, uttering frightful yells. Terrified by these sounds,the relatives of that Rakshasa came out, O king, with their attendants.Bhima, that foremost of smiters, seeing them so terrified and deprived ofreason, comforted them and made them promise (to give up cannibalism),saying, ‘Do not ever again kill human beings.

समुद्र तट के किसी नगर में एक धनवान वैश्य के पुत्रों ने एक कौआ पाल रखा था| वे उस कौए को बराबर अपने भोजन से बचा अन्न देते थे| उनकी जूँठन खाने वाला वह कौआ स्वादिष्ट तथा पुष्टिकर भोजन खाकर खूब मोटा हो गया था| इससे उसका अहंकार बहुत बढ़ गया| वह अपने से श्रेष्ठ पक्षियों को भी तुच्छ समझने और उनका अपमान करने लगा|

संध्या का समय था| सूर्य अस्त हो चुका था| ब्राह्मण कुमारों के वेश में पांडव द्रौपदी को साथ लिए हुए अपनी मां के पास गए| कुंती कुम्हार के घर में, कमरे का दरवाजा बंद करके भीतर बैठी हुई थी|