Home2011March (Page 24)

नुस्खा – पीपरामूल, जवाखार, सज्जीखार, चित्रकमूल, नमक, त्रिकुट, भुनी हींग, अजमोद तथा चक-सभी का चूर्ण 20-20 ग्राम लेकर अनार के रस में घोटकर मटर के दाने के बराबर गोलियां बना लें|

एक बार महर्षि गालव जब प्रात: सूर्यार्घ्य प्रदान कर रहे थे, उनकी अंजलि में आकाश मार्ग में जाते हुए चित्रसेन गंधर्व की थूकी हुई पीक गिर गई| मुनि को इससे बड़ा क्रोध आया| वे उए शाप देना ही चाहते थे कि उन्हें अपने तपोनाश का ध्यान आ गया और वे रुक गए| उन्होंने जाकर भगवान श्रीकृष्ण से फरियाद की| श्याम सुंदर तो ब्रह्मण्यदेव ठहरे ही, झट प्रतिज्ञा कर ली – चौबीस घण्टे के भीतर चित्रसेन का वध कर देने की| ऋषि को पूर्ण संतुष्ट करने के लिए उन्होंने माता देवकी तथा महर्षि के चरणों की शपथ ले ली|

किसी जंगल में एक शेर और एक चिता रहता था| वैसे तो शेर बहुत बलवान होता है; किंतु वह शेर बूढ़ा हो गया था| उससे दौड़ा कम जाता था| चिता मोटा और बलवान था| इतने पर भी चिता बूढ़े शेर से डरता था और उससे मित्रता रखता था; क्योंकि बूढ़ा होने पर भी शेर चीते से तो कुछ अधिक बलवान था ही|

जीरे के बिना मसालों का कोई महत्त्व नहीं है| जीरे की खुशबू और स्वाद दोनों मनभावन हैं| इस दृष्टि से जीरा पाचक, शीतल, मधुर, वात-पित्त नाशक, गरमी को शान्त करने वाला, दाह को मिटाने वाला तथा पुत्रदायक है|