चित्रकादि वटी के स्वास्थ्य लाभ – Health Benefits of Citrkadi Equity
नुस्खा – पीपरामूल, जवाखार, सज्जीखार, चित्रकमूल, नमक, त्रिकुट, भुनी हींग, अजमोद तथा चक-सभी का चूर्ण 20-20 ग्राम लेकर अनार के रस में घोटकर मटर के दाने के बराबर गोलियां बना लें|
नुस्खा – पीपरामूल, जवाखार, सज्जीखार, चित्रकमूल, नमक, त्रिकुट, भुनी हींग, अजमोद तथा चक-सभी का चूर्ण 20-20 ग्राम लेकर अनार के रस में घोटकर मटर के दाने के बराबर गोलियां बना लें|
“Vaisampayana said, ‘On hearing these words of her afflicted parents, thedaughter was filled with grief, and she addressed them, saying, ‘Why areyou so afflicted and why do you so weep, as if you have none to lookafter you? O, listen to me and do what may be proper.
एक बार महर्षि गालव जब प्रात: सूर्यार्घ्य प्रदान कर रहे थे, उनकी अंजलि में आकाश मार्ग में जाते हुए चित्रसेन गंधर्व की थूकी हुई पीक गिर गई| मुनि को इससे बड़ा क्रोध आया| वे उए शाप देना ही चाहते थे कि उन्हें अपने तपोनाश का ध्यान आ गया और वे रुक गए| उन्होंने जाकर भगवान श्रीकृष्ण से फरियाद की| श्याम सुंदर तो ब्रह्मण्यदेव ठहरे ही, झट प्रतिज्ञा कर ली – चौबीस घण्टे के भीतर चित्रसेन का वध कर देने की| ऋषि को पूर्ण संतुष्ट करने के लिए उन्होंने माता देवकी तथा महर्षि के चरणों की शपथ ले ली|
“Vaisampayana said, ‘Hearing these words from Bhima, that were fraughtwith such mildness and that were, as unexpected as if the hills had losttheir weight and fire had become cold,
किसी जंगल में एक शेर और एक चिता रहता था| वैसे तो शेर बहुत बलवान होता है; किंतु वह शेर बूढ़ा हो गया था| उससे दौड़ा कम जाता था| चिता मोटा और बलवान था| इतने पर भी चिता बूढ़े शेर से डरता था और उससे मित्रता रखता था; क्योंकि बूढ़ा होने पर भी शेर चीते से तो कुछ अधिक बलवान था ही|
Hanuman said, ‘And after his wife was carried away, that descendant ofRaghu, while searching with his brother for his queen, met, on the summitof that mountain, with Sugriva, chief of the monkeys.
जीरे के बिना मसालों का कोई महत्त्व नहीं है| जीरे की खुशबू और स्वाद दोनों मनभावन हैं| इस दृष्टि से जीरा पाचक, शीतल, मधुर, वात-पित्त नाशक, गरमी को शान्त करने वाला, दाह को मिटाने वाला तथा पुत्रदायक है|
“Sanjaya said, ‘The Parthas then, headed by Bhimasena, approached thatinvincible array protected by Bharadwaja’s son. And Satyaki, andChekitana, and Dhrishtadyumna.
“Vaisampayana said, ‘That lady of eyes like lotus petals, having indulgedin copious lamentations, and burning with grief, at last lost her sensesand fell down on the Earth.