Home2011January (Page 8)

महाभारत धृतराष्ट्र जन्मान्ध थे| वे भीष्म, द्रोण, कृपाचार्य तथा विदुरकी सलाहसे राज्यका संचालन करते थे| उन्हें कर्तव्याकर्तव्यका ज्ञान था, किंतु पुत्रमोहके कारण बहुधा उनका विवेक अन्धा हो जाता था और वे बाध्य होकर दुर्योधनके अन्यायपूर्ण आचरणका समर्थन करने लगते थे|

एक बार अर्जुन ने भगवान श्रीकृष्ण से कहा, 'मैंने आज तक संसार में बड़े भ्राता युधिष्ठिर जितना दानवीर कोई दूसरा नहीं देखा।' श्रीकृष्ण बोले, 'पार्थ, यह तुम्हारा भ्रम है। इस दुनिया में कई दानवीर ऐसे हैं जो बिना सोचे-समझे मूल्यवान से मूल्यवान वस्तु का दान देने से नहीं

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राजगढ़ के राजा शक्ति सिंह की दो रानियाँ थी- प्रेमलता और सुमनलता| दोनों सगी बहनें थी| कुछ समय बाद प्रेमलता ने एक पुत्र को जन्म दिया| प्रेमलता द्वारा पुत्र को जन्म देने के बाद सुमनलता मन-ही-मन उससे जल उठी| उसे लगा कि अब महाराज की नजरों में उसका महत्व समाप्त हो जाएगा| वह यह चाहती थी कि भविष्य में उसका होने वाला पुत्र ही राजा बने|

बादशाह अकबर से मिलने कुछ विदेशी मेहमान आए हुए थे| वे अभी दरबार में उपस्थित नहीं हुए थे| कुछ देर बाद एक सेवक आया और बोला – “हुजूर की मां का देहान्त हो गया है, अत: उन्हें आने में देर लगेगी|”