अध्याय 9
1 [स]
ते हत्वा सर्वपाञ्चालान दरौपदेयांश च सर्वशः
अगच्छन सहितास तत्र यत्र दुर्यॊधनॊ हतः
“Vaisampayana said, ‘Hearing the words of Kunti, the mighty car-warriors,Bhishma and Drona, then spoke these words unto the disobedientDuryodhana, ‘Hast thou, O tiger among men, heard the fierce words ofgrave import, excellent and consistent with virtue, that Kunti had spokenin the presence of Krishna?
“Sanjaya said, ‘After the high-souled son of Kunti had created thatwater, after he had commenced to hold in cheek the hostile army, andafter he had built also that arrowy hall,
“Nala said, ‘Surely, thy father’s kingdom is as my own. But thither Iwill not, by any means, repair in this extremity. Once I appeared therein glory, increasing thy joy. How can I go there now in misery,augmenting thy grief?’
किसी गाँव में एक नटखट बंदर ने बड़ा उत्पात मचा रखा था| वह लोगों के घरों में घुसकर खाने-पीने की चीजें लेकर भाग जाता| बच्चों-बड़ों को काट खाता| छतों पर सूख रहे कपड़ों को उठाकर ले जाता|
“Bhishma said, ‘The chief of the deities, Indra, after the Pitri hasceased to speak, addressed the puissant Hari, saying, ‘O Lord, what arethose acts by which thou becomest gratified? How, indeed, do men succeedin gratifying thee?’
कबीर हिंदी साहित्य के महिमामण्डित व्यक्तित्व हैं। कबीर के जन्म के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। कबीर को शांतिमय जीवन प्रिय था और वे अहिंसा, सत्य, सदाचार आदि गुणों के प्रशंसक थे। अपनी सरलता, साधु स्वभाव तथा संत प्रवृत्ति के कारण आज विदेशों में भी उनका समादर हो रहा है। कबीर आडम्बरों के विरोधी थे। मूर्त्ति पूजा को लक्ष्य करती उनकी एक साखी है –
द्वापर युग की बात है, एक बार पृथ्वी पर पाप कर्म बहुत बढ़ गए। सभी देवता चिंतित थे। अपनी समस्या लेकर वे भगवान विष्णु के पास गए।