97 – जादुई जंगल | Jadui Jungle | Tilismi Kahaniya | Moral Stories
नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके दोस्तों ने बुढ़ी राक्षसी के साथ मिलकर उस शैतान को खत्म कर दिया था। उसके बाद कारण और उसके दोस्त महाराज को होश में लाने के लिए उनके पास काड़ा लेकर जाते हैं। उसके बाद महाराज फिर से अपने सैनिकों को करण और उसके सभी दोस्तों को तहखाने में डालने का आदेश देते हैं।
महाराज:- सैनिको बंदी बना लो इन्हें।
करण:- महाराज कृपया करके हमारी बातों पर विश्वास करें। हम यहां पर किसी को भी क्षति पहुंचाने नहीं आए हैं।
बुलबुल:- जी महाराज।
नैरेटर:- जब सैनिक उन सभी को बंदी बनाकर ले जा रहे थे तभी वहां पर बुढ़ी राक्षसी और राक्षसी महारानी आ जाती हैं।
राक्षसी महारानी:- महाराज कृपया करके इन सभी को जाने दीजिए।
महाराज:- परंतु महारानी……
महारानी:- महाराज ये सभी बच्चे सच कह रहे हैं इन सभी ने हमारी सहायता की है। हमारे महल के ऊपर इतना बड़ा संकट था और इन्होंने हमारे प्राण बचाए हैं।
महाराज:- क्या यह सब सत्य हैं महारानी?
महारानी:- जी महाराज। हमारे महल के मंत्रियों ने हमारे ही खिलाफ षड्यंत्र रचा था और उन्हीं के कारण आप इतने ज्यादा बीमार हुए थे। उन्होंने एक शैतान की सहायता से यह सब किया था।
नैरेटर:- महारानी महाराज को सारी बात बता देती है कि किस प्रकार क्या-क्या हुआ था और करण और उसके दोस्तों ने मिलकर उनकी सहायता की और उस शैतान को खत्म किया।
महाराज:- सैनिको इन सभी को छोड़ दो।
सैनिक:- जी महाराज।
महाराज:- कृपया करके आप सब हमें क्षमा कर दीजिए। हमने आपके साथ बहुत बुरा व्यवहार किया। जबकि आप सभी ने तो हमारी और हमारे महल की रक्षा की और हमें इतनी बड़ी मुसीबत से बचाया।
करण:- कोई बात नहीं महाराज इसमें आपका कोई दोष नहीं है। आपको सच्चाई नहीं पता थी इसी कारण यह सब हुआ।
बुलबुल:- जी महाराज आप हमसे क्षमा मत मांगिए।
महाराज:- हम तो आप सब का जितना आभार प्रकट करें उतना ही कम है। अगर आप ना होते तो हमारे ऊपर कितना बड़ा संकट आ जाता। आपने हमें इस संकट से बचाया है उसके लिए आप सभी का शुक्रिया।
महारानी:- जी आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद। आपकी बहादुरी के कारण हम सब आज जीवित है।
सितारा:- कोई बात नहीं महाराज और महारानी आप दोनों इस तरह हमें शुक्रिया मत कहिए। यह तो हमारा फर्ज था।
महारानी:- परंतु आप सभी हमारे महल में कैसे आए?
करण:- महारानी दरअसल हम सभी अपने मित्र को बचाने के लिए ॠषि वेदव्यास जी के पास जा रहे थे और……..
नैरेटर:- उसके बाद करण महारानी को सारी बात बता देता है कि किस प्रकार उनके साथ क्या-क्या हुआ।
महारानी:- आप सभी पहले से ही इतनी मुसीबत में थे और हमारे कारण आपको और भी ज्यादा मुसीबतों का सामना करना पड़ा।
करण:- नहीं महारानी ऐसा कुछ भी नहीं है हमने जो कुछ भी किया वह हमारा कर्तव्य था।
महाराज:- आप सभी बहुत थक गए होंगे और आपको आगे अपना सफर भी तय करना है इसलिए आज आप हमारे महल में रह कर थोड़ा विश्राम कर लीजिए।
करण:- जी महाराज आपका बहुत-बहुत शुक्रिया।
टॉबी:- दरअसल मुझे बहुत जोर से भूख लगी है।
करमजीत:- हा हा… हां दरअसल भूख तो मुझे भी लग रही है।
महाराज:- हा हा हा चलिए अब हम सभी चलकर भोजन कर लेते हैं।
टॉबी:- जी शुक्रिया।
नैरेटर:- उसके बाद वें सभी भोजन कर लेते हैं और रात को सभी आराम से सो जाते हैं। फिर अगली सुबह………
करण:- महाराज अब हम अपनी आगे की यात्रा आरंभ करते हैं। आप हमें इजाजत दीजिए।
महाराज:- अवश्य बच्चों आप सभी अपना ध्यान रखना। हम चाहते हैं कि आप अपनी यात्रा सफलतापूर्वक पूरी करें तथा अपने मित्र को बचाने में कामयाब रहें।
करण:- जी महाराज आपका शुक्रिया।
राक्षसी महारानी:- बच्चों एक बार फिर से आपका हमारी सहायता करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया। हम आपके आभारी हैं। इसलिए आपको कभी भी हमारी सहायता की आवश्यकता हो। तो हमें बेझिझक याद कर लेना। हम आपकी सहायता करने अवश्य आएंगे।
बुलबुल:- जी महारानी। आपका भी हमारी सहायता करने के लिए शुक्रिया।
करण:- ठीक है दोस्तों अब हम सभी चलते हैं।
कुश:- परंतु हम वापस कैसे जाएंगे। हमें तो रास्ता भी नहीं पता और पता नहीं इस समय हमारी नांव कहां पर होगी हम यह इतना विशाल समुद्र कैसे पार करेंगे?
टॉबी:- हां तुमने बिलकुल सही कहा कुश।
राक्षस महाराज:- रुकिये हम यहां से बाहर निकलने में आपकी सहायता करते हैं। आपको समुद्र पार करने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी हम आपको सीधा समुद्र के बाहर छोड़कर जाएंगे।
राक्षसी महारानी:- हां हम अपने जादू की सहायता से आप सभी को यहां से आसानी से बाहर निकाल सकते हैं। आपको चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
करण:- जी महारानी।
नैरेटर:- उसके बाद महाराज करण और उसके सभी दोस्तों को समुद्र के बाहर किनारे पर छोड़ देते हैं।
महाराज:- आप सभी अब अपनी आगे की यात्रा आरंभ कीजिए। उम्मीद है आपकी यात्रा मंगलमय हो।
करण:- जी महाराज।
नैरेटर:- उसके बाद करण और उसके दोस्त उनसे विदा लेकर वहां से अपनी आगे की यात्रा आरंभ कर देते हैं।
शुगर:- यह जंगल तो कितना विशाल है और यहां पर कितने सारे बड़े-बड़े वृक्ष हैं।
टॉबी:- शुगर यहां पर केवल वृक्ष ही नहीं, यहां पर तो फूल भी कितने बड़े हैं।
कुश:- हां तुमने बिल्कुल सही कहा टॉबी।
सितारा:- हमम… मुझे तो यह जंगल बड़ा विचित्र लगता है।
कमल:- हां आपने बिल्कुल सही कहा। यहां पर कुछ भी होने की संभावना है। दोस्तों मुझे ऐसा लगता है कि हम सहरा जंगल में हैं।
करण:- सहरा जंगल…..?
करमजीत:- यह सहरा जंगल क्या है?
कमल:- दरअसल यह एक विचित्र जादुई जंगल है। जहां पर बहुत से अजीब फल मिलेंगे। ध्यान रहे दोस्तों यहां पर कुछ जादुई फल है तथा साथ ही यहां पर कुछ फल जहरीले भी है।
करण:- दोस्तों तुम सभी अपना ध्यान रखना।
कुश:- परंतु करण मुझे तो बहुत जोरों से भूख लग रही है।
करमजीत:- हां सही कहा हम इतनी देर से चल रहे हैं, अब तो मुझे भी भूख लगने लगी है।
बुलबुल:- क्यों ना हम कुछ फल तोड़ कर खा ले।
कमल:- हां दोस्तों हम फल खा लेते हैं परंतु याद रहे हमें नीले और हरे रंग का कोई भी फल नहीं खाना है। क्योंकि वह फल जहरीले होंगे।
बुलबुल:- ठीक है कमल जी हम सभी इस बात का ध्यान रखेंगे। चलो दोस्तों अब हम नीले और हरे रंग के फलों को छोड़कर बाकी के फल तोड़कर खा लेते हैं।
शुगर:- हां तुमने सही कहा बुलबुल। अब सबको बहुत जोर से भूख लगी है इसलिए कुछ तो खाना ही होगा। हमें कुछ फल खा लेने चाहिए।
नैरेटर:- उसके बाद वे सभी वृक्षों से फल तोड़कर खाने लगते हैं।
शुगर:- यहां के फल तो दिखने में भी थोड़े अजीब है। देखो यहां पर कितनी सारी सुनहरी सेब है। ऐसा लगता है कि मानो यह सोने की हो।
टॉबी:- हां तुमने बिलकुल सही कहा शुगर। यह तो सच में सोने की सेब लगती है।
कुश:- हां और यहां के फल तो बहुत ही स्वादिष्ट है तथा यह कितने मीठे फल है।
बुलबुल:- हां तुमने बिलकुल सही कहा कुश। यह फल तो सच में बहुत मीठे हैं।
टॉबी:- हां इन्हें खा कर तो मजा ही आ गया।
सितारा:- हां यहां के फल तो वाकई बहुत स्वादिष्ट है।
कुश:- अरे दोस्तों मेरे साथ यह क्या हो रहा है।
बुलबुल:- अरे कुश तुम हवा में कैसे उड़ रहे हो?
कुश:- पता नहीं बुलबुल यह कैसे हुआ।
करमजीत:- अरे वाह कुश तुमने तो कमाल कर दिया।
कमल:- दरअसल यह उस जादुई फल का कमाल है।
सितारा:- क्या कहा इन जादुई फलों की सहायता से आप सभी उड़ सकते हैं।
कमल:- हां सितारा यहां पर अलग-अलग प्रकार के फल हैं। इनमें से कुछ जादुई फल है जिनकी सहायता से हमारे अंदर कुछ क्षण के लिए जादुई शक्तियां आ जाती है।
करण:- अरे वाह यह तो बहुत ही कमाल के फल है।
कुश:- लगता है इस फल का असर खत्म हो गया। परंतु मुझे तो हवा में उड़ने में बहुत मजा आ रहा था।
शुगर:- कोई बात नहीं कुश तुम दोबारा वह फल खा लो।
बुलबुल:- हां कुश तुम मुझे भी बताओ कि कौन सा फल खाने के बाद तुम हवा में उड़ रहे थे क्योंकि मैं भी हवा में उड़ना चाहती हूं।
कुश:- यह देखो बुलबुल यही वह फल था। जिसे खाने के बाद में हवा में उड़ पा रहा था।
बुलबुल:- वाह यह तो गुलाबी रंग का फल हैं और यह दिखने में भी कितना सुंदर है।
नैरेटर:- उसके बाद बुलबुल भी उस फल को खा लेती है और हवा में उड़ने लगती है।
बुलबुल:- येएएए हेएए……. दोस्तों मुझे तो हवा में उड़ने में बहुत मजा आ रहा है।
करमजीत:- चलो हम सब भी यह फल खा लेते हैं।
टॉबी:- हां करमजीत मैं भी हवा में उड़ना चाहता हूं।
नैरेटर:- उसके बाद धीरे-धीरे सभी एक-एक करके हवा में उड़ने लगते हैं।
करण:- दोस्तों हवा में उड़ने का तो मजा ही अलग है।
करमजीत:- हां तुमने बिलकुल सही कहा करण। मैंने कभी नहीं सोचा था कि हम एक दिन इस तरह हवा में उड़ भी पाएंगे।
टॉबी:- हां करण देखो मैं भी उड़ पा रहा हूं। येहूऊऊऊऊ…… शुगर तुम्हें हवा में उड़कर अच्छा तो लग रहा है ना?
शुगर:- हां टॉबी मुझे बहुत अच्छा लग रहा है।
नैरेटर:- उसके बाद वे सभी थोड़ी देर हवा में खेलने के बाद वापस जमीन पर आ जाते हैं।
बुलबुल:- आज तो सच में बहुत मजा आया। परंतु अब मैं बहुत ज्यादा थक गई हूं।
कुश:- हां दोस्तों अब तो मैं भी बहुत ज्यादा थक गया हूं। अब तो मैं बस थोड़ी देर आराम करना चाहता हूं।
करण:- हां दोस्तों आज रात हम सब यहीं पर आराम कर लेते हैं।
करमजीत:- हां तुमने सही कहा करण। चलो हम रात को सोने की व्यवस्था कर लेते हैं।
सितारा:- अरे दोस्तों मेरे रहते चिंता करने की क्या आवश्यकता है। मैं हूं ना।
टॉबी:- तो जल्दी कुछ करो ना सितारा इंतजार किस बात का है?
सितारा:- क्या तुम कभी भी शांति से काम नहीं ले सकते।
बुलबुल और शुगर:- हे भगवान! फिर से नहीं।
करमजीत:- अच्छा ठीक है अब तुम दोनों फिर से शुरू मत हो जाना।
करण:- हां सितारा कोई बात नहीं।
सितारा:- ठीक है करण तुम कहते हो तो कोई बात नहीं। अब तुम सब बस देखते जाओ। (चुटकी बजाते हुए) “सितारा है मेरा नाम जादू करना है मेरा काम।”
नैरेटर:- सितारा के ऐसा कहते ही वह अपने जादू की सहायता से वहां पर एक छोटी सी कुटिया का इंतजाम कर देता हैं।
कमल:- वाह सितारा आपने तो कमाल कर दिया।
बुलबुल:- हां सचमुच।
सितारा:- आप सभी का धन्यवाद। अब मेरी इतनी भी तारीफ मत करो।
करण:- चलो अब हम सभी अंदर चलकर सो जाते हैं।
कुश:- हां ठीक है करण।
सितारा:- हां दोस्तों चलो सभी अंदर चलकर आराम कर लेते हैं।
नैरेटर:- उसके बाद सभी उस कुटिया के अंदर चले जाते हैं और सो जाते हैं। जब रात को सभी सो रहे थे तब उन्हें बहुत ही अजीब आवाज़ें सुनाई देती है।
करण:- अरे यह अजीब आवाज कैसी है?
करमजीत:- हां तुमने सही कहा करण बहुत ही अजीब सी आवाजें आ रही है।
नैरेटर:- उसके बाद जब करण और करनजीत कुटिया के बाहर जाकर देखते हैं तो वह वहां का नजारा देखकर बहुत ज्यादा हैरान हो जाते हैं तथा काफी ज्यादा घबरा जाते हैं।
नैरेटर:- आखिर करण और करमजीत ने बाहर ऐसा क्या देखा जो देखकर उनके होश उड़ गए। अब करण और उसके दोस्तों के सामने कौन सी नई मुसीबत आने वाली है तथा इसके बाद करण और उसके सभी दोस्त अपनी आगे की यात्रा कैसे पूरी करेंगे। यह सब जानने के लिए बने रहिएगा तिलिस्मी कहानी के अगले एपिसोड तक।