Homeतिलिस्मी कहानियाँ91 – लाल दानव | Lal Daanav | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

91 – लाल दानव | Lal Daanav | Tilismi Kahaniya | Moral Stories

नैरेटर:- पिछले एपिसोड में आप ने देखा था कि करण और उसके सभी दोस्तों ने गुरुजी की खोज में अपनी यात्रा आरंभ कर दी थी। उसके बाद वे सभी जंगल में एक गड्ढे में गिर जाते हैं, तब वे अपनी सहायता के लिए नागराज को बुलाते हैं। उसके बाद वे सभी एक राक्षस का सामना कर रहे थे, जो अपने कई रूप बना लेता है।

करमजीत:- इन राक्षसों की संख्या तो बढ़ती ही जा रही है।

करण:- इन्हें मारना बिलकुल भी आसान नहीं है।

नागराज:- हमें इनमें से असली राक्षस की पहचान करनी होगी। तभी हम इसे हरा सकते हैं और याद रहे इस राक्षस को मारना आसान नहीं है। इसके प्राण इसकी नाभि में है। हमें इसकी नाभि पर आक्रमण करना होगा तभी हम इस राक्षस को हरा सकेंगे।

टॉबी:- परंतु महाराज यह सभी तो बिल्कुल एक जैसे हैं। इनमें से किसी एक में भी कोई भिन्नता नहीं है।

नागराज:- हां, हम ऐसे देखकर पता नहीं लगा सकते कि इनमें से असली राक्षस कौन है। ‌ इसीलिए इसका केवल एक ही उपाय है। करण तुम वह नागमणी निकालो जो मैंने तुम्हें दी थी।‌ उसकी रोशनी ये सभी राक्षस बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे। उसके बाद उसके कारण इन सभी की आंखें बंद हो जाएगी।

करण:- जी महाराज।

नैरेटर:- उसके बाद करण वह नागमणी निकालता है और उससे एक तेज रोशनी प्रकाशित होती है जिसकी वजह से सभी रक्षस अपनी आंखें बंद कर लेते हैं।

(सभी राक्षस एक साथ बोलेंगे)

राक्षस:- आ.. आ… मुझे कुछ दिखाई क्यों नहीं दे रहा है बंद करो इसे।

टॉबी:- यह सब तो बोल भी एक ही साथ रहे हैं। ‌

नागराज:- हां क्योंकि यह सब राक्षस आपस में बिल्कुल समान हैं। अब सभी अपनी अपनी तलवारों के साथ तैयार हो जाओ।

बुलबुल:- जी नागराज जी।

करमजीत:- जी।

नैरेटर:- उसके बाद सभी अपनी तलवारों से एक-एक करके हर राक्षस पर आक्रमण करते हैं।

बुलबुल:- अरे यह क्या हुआ?

शुगर:- इतनी तेज नीली रोशनी…

नैरेटर:- करण के उस राक्षस पर प्रहार करने के बाद वहां पर एक नीली रोशनी प्रज्वलित होती है जहां पर उस राक्षस की जगह एक व्यक्ति आ जाता है। जिसे देखकर सब हैरान हो जाते हैं।

टॉबी:- आप कौन हैं?

व्यक्ति:- मेरा नाम कमल है और मैं ही वही राक्षस था जिसका आप सब अभी सामना कर रहे थे।

सितारा:- आप राक्षस कैसे बने?

कमल:- मुझे एक ऋषि मुनि ने श्राप दिया था। मैंने पहले तो उनकी तपस्या भंग की उसके बाद जब इस वजह से उन्होंने मुझे डाटा तो मैंने उनका बहुत अपमान कर दिया था। जिस कारण उन्होंने क्रोधित होकर मुझे एक राक्षस होने का श्राप दिया। मैं पिछले सौ वर्षों से इस राक्षस के रूप में भटक रहा था और आप सभी ने मुझे इस श्राप से मुक्त कर दिया। आप सभी का बहुत-बहुत धन्यवाद।

सितारा:- कोई बात नहीं आप हमें धन्यवाद मत कहिए, क्योंकि हमें तो पता भी नहीं था कि इस राक्षस के पीछे एक इंसान होगा। हम तो आपसे युद्ध कर रहे थे। परंतु गलती से आपकी सहायता हो गई। ‌हा हा…

कमल:- कोई बात नहीं परंतु आप सब की वजह से मैं अपने इस श्राप से मुक्त तो हो गया।

सितारा:- हां

बुलबुल:- तुम भी ना सितारा।

कमल:- आप सभी यहां क्या करने आए थे?

करण:- हम यहां पर महर्षि वशिष्ठ जी को ढूंढने आए हैं।

कमल:- आपको उनसे क्या काम है? क्या आप लोगों को कोई बड़ी परेशानी है?

करमजीत:- दरअसल हम सभी अपने पांच साल बाद वाले समय यानि भविष्य में आए हैं। हम यहां पर अपने मित्र सितारा का श्राप तुडवाने आए थे। उसके बाद हम सभी अपने समय में वापस जाने वाले थे। परंतु हमारा एक दूसरा मित्र लव है उसने अपने भविष्य स्वरूप को देख लिया था जिसके कारण वह समय के चक्रव्यूह में फंस गया है और हम सभी अब वापस अपने समय में नहीं जा सकते।

कमल:- यह तो बहुत ही बुरा हुआ। परंतु इस समस्या से बाहर निकलना आसान नहीं है। आपकी इस समस्या का हल केवल महर्षि वशिष्ठ जी ही निकाल सकते हैं।

टॉबी:- हां इसीलिए हम उनकी खोज में यहां पर आए हैं।

कमल:- ठीक है तो इसमें मैं भी आपकी सहायता करूंगा क्योंकि मैं यहां की हर एक जगह को अच्छे से जानता हूं, मैं पिछले सौ वर्षों से यहीं पर भटक रहा था।

करण:- हमारी सहायता करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद।

कमल:- यहां थोड़ी ही दूरी पर मेरा घर है आप सभी वहां चलकर आज रात मेरे साथ रह सकते हैं।

नैरेटर:- उसके बाद करण और उसके सभी दोस्त नागराज तथा कमल के साथ अपनी आगे की यात्रा आरंभ कर देते हैं। फिर वे सभी एक बड़ी सी गुफा के पास पहुंच जाते हैं।

शुगर:- यह हम कहां आ गए?

कमल:- हा हा.. दरअसल यही मेरा घर है मैं पिछले सौ सालो से यहीं पर रह रहा था।

टॉबी:- मुझे लगा था कि हम किसी घर पर जाएंगे।

कमल:- अगर आपको यहां पर रहने में परेशानी हैं तो मैं आपके रहने के लिए कहीं और व्यवस्था कर सकता हूं।

करण:- नहीं कमल जी हमें कोई परेशानी नहीं होगी हम यहां पर रह लेंगे।

बुलबुल:- हां वैसे भी एक रात की ही तो बात है, फिर हमें कल सुबह अपनी आगे की यात्रा आरंभ करनी ही है।

नैरेटर:- उसके बाद सभी गुफा के अंदर चले जाते हैं और वहां पर आराम से बैठ जाते हैं। फिर कमल कुछ काम से बाहर चला जाता है।

टॉबी:- आ.. मैं तो बहुत ज्यादा थक गया हूं।

सितारा:- क्यों टॉबी तुमने तो कोई काम भी नहीं किया, तो तुम इतनी आसानी से कैसे थक गए?

टॉबी:- तुमसे तो ज्यादा ही काम करता हूं मैं।

सितारा:- अच्छा बताना जरा ऐसा क्या काम करते हो तुम?

बुलबुल:- अब तुम दोनों बस भी करो कहीं पर भी लड़ना शुरू हो जाते हो।

शुगर:- हां टॉबी तुम भी ना।

टॉबी:- पर शुगर उसने पहले शुरू किया था।

शुगर:- बस टॉबी।

बुलबुल:- नागराज जी,‌ क्या मैं आपसे एक प्रश्न पूछ सकती हूं?

नागराज:- हां पूछो बुलबुल क्या पूछना चाहती हो?

बुलबुल:- आप और सितारा एक दूसरे को कैसे जानते हो?

नागराज:- दरअसल एक बार की बात है एक राक्षस मेरी पत्नी का अपहरण करके ले गया था। उस समय सितारा के पिता ने उस राक्षस को मारने में मेरी सहायता की थी। तब सितारा काफी छोटा था तब मैं कई बार उससे मिलने जाया करता था। इस तरह मैं और सितारा काफी अच्छे दोस्त बन गए।

सितारा:- हां परंतु अब आप कुछ समय से मुझसे मिलने नहीं आ रहे थे।

नागराज:- मैं जरा अपने काम में व्यस्त था इसीलिए मैं तुमसे मिलने नहीं आ पा रहा था।

सितारा:- परंतु यह गलत बात है ना।

करण:- कोई बात नहीं सितारा अब तो तुम नागराज जी से मिल लिए ना।

सितारा:- हां।

नागराज:- ठीक है अभी मैं चलता हूं अगर आप सभी को दोबारा मेरी सहायता की आवश्यकता हो तो मुझे जरूर याद करना। मैं आपकी सहायता करने अवश्य आऊंगा।

करण:- जी नागराज जी आपका फिर से हमारी सहायता करने के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया।

नागराज:- कोई बात नहीं करण यह तो मेरा फ़र्ज़ था और तुम उस नागमणी को संभाल कर रखना जो मैंने तुम्हें दी थी। जब भी तुम्हें कुछ समझ ना आए या किसी चीज की आवश्यकता हो तो वह नागमणी तुम्हारी सहायता करेगी।

करण:- जी नागराज जी।

नागराज:- ठीक है सितारा मैं अब जा रहा हूं।

सितारा:- ठीक है परंतु आप मुझसे बाद में मिलने अवश्य आना।

नागराज:- हां सितारा अवश्य।

नैरेटर:- इतना कहकर नागराज सभी से अलविदा लेते हैं और वहां से गायब हो जाते हैं।

बुलबुल:- अब हम सब अभी क्या करें?

टॉबी:- चलो बाहर चलकर खेलते हैं।

कुश:- नहीं मैं तो बहुत ज्यादा थक गया हूं। इसलिए मैं थोड़ी देर आराम करूंगा।

शुगर:- मुझे तो भूख लग रही है।

राक्षस:- भूख तो मुझे भी बहुत जोरों से लग रही है। लगता है आज मेरा खाना स्वयं मेरे पास चलकर आ गया है। हा हा हा……

नैरेटर:- जब सभी पीछे मुड़कर देखते हैं तो उन्हें वहां पर एक राक्षस नजर आता है।

कुश:- अरे अब यहां पर भी राक्षस आ गया।

टॉबी:- कौन हो तुम?

राक्षस:- मैं हूं तुम्हारी मौत। मैं तुम सबको खा जाऊंगा।

करण:- इतनी आसानी से नहीं, पहले तुम्हें हमारा सामना करना होगा।

राक्षस:- हा हा हा, बच्चें लगता है तुम्हें मरने की ज्यादा जल्दी है।

नैरेटर:- उसके बाद करण और वह राक्षस अपनी तलवार से युद्ध करने लगते हैं। तब वहां पर कमल आ जाता है।

कमल:- रुक जाओ तारकासुर…

तारकासुर:- कौन हो तुम?

कमल:- तारकासुर मैं तुम्हारा मित्र मयासुर हूं।

तारकासुर:- तुम मुझसे झूठ बोलते हो रुको मैं अभी तुम सबको बताता हूं।

कमल:- नहीं मित्र मैं तुमसे झूठ नहीं बोल रहा, मैं वापस अपने असली रूप में आ चुका हूं। इन सभी ने मेरा श्राप तुड़वाने में मेरी सहायता की।

तारकासुर:- क्या कहा तुम मेरे मित्र मयासुर ही हो। यह तो बहुत खुशी की बात है मित्र की तुम वापस अपने असली रूप में आ गए।

कमल:- हां तुमने बिलकुल सही कहा। इसीलिए यह सब हमारे मित्र जैसे ही हैं तुम इन्हें नुकसान मत पहुंचाओ।

तारकासुर:- ठीक है। आप सभी मुझे कृपया करके क्षमा कर दीजिए मुझे पहले कुछ पता नहीं था।

करण:- कोई बात नहीं आप हमसे माफी मत मांगिए।

बुलबुल:- हां तारकासुर जी आपको पहले पता नहीं था इसलिए यह सब हुआ, आप हमसे माफी मत मांगिए।

तारकासुर:- परंतु…

कमल:- परंतु क्या मित्र, कहो क्या बात है?

तारकासुर:- अब तुम वापस अपने असली रूप में आ गए हो तो तुम मुझसे मित्रता तोड़ दोगे और वापस अपनी दुनिया में चले जाओगे।

कमल:- नहीं ऐसी बात नहीं है मैं तुम्हें छोड़कर कहीं भी नहीं जाऊंगा तुम मेरे सबसे अच्छे मित्र हो और तुमने इतने वर्षों से हमेशा मेरा ध्यान रखा इसीलिए मैं यही इसी गांव में रहूंगा ताकि मैं हमेशा तुमसे मिल सकूं।

सितारा:- परंतु आप लोग बिना वजह इंसानों को तंग मत करना।

तारकासुर:- ठीक है मैं आगे से ऐसा नहीं करूंगा और अगर आप सभी को मेरी सहायता की आवश्यकता पड़े तो मुझे जरूर याद करना।

करण:- जी जरूर।

नैरेटर:- इतना कह कर तारकासुर वहां से चला जाता है।

कमल:- अब आप सब भी खाना खाकर आराम कर लीजिए हमें कल एक लंबा सफर तय करना है।

करण:- जी।‌

नैरेटर:- उसके बाद सभी खाना खाकर सो जाते हैं। फिर अगले दिन सुबह उठकर वे सभी अपनी यात्रा आरंभ कर देते हैं। ‌

करण:- कमल जी क्या आपको पता है कि हमें महर्षि वशिष्ठ जी कहां मिलेंगे?

कमल:- मैं पुरे यकीन से तो नहीं कह सकता की गुरुजी हमें उसी स्थान पर मिलेंगे। परंतु हमें उन्हें ढूंढने के लिए बहुत सारे पड़ावों को पार करना होगा क्योंकि अगर वह हमारी बुद्धिमत्ता और बहादुरी से प्रसन्न होंगे तो वह अवश्य ही हमें अपने दर्शन दे देंगे।

बुलबुल:- इसका मतलब उनसे मिलने के लिए हमें बहुत सारी परीक्षाएं देनी होगी।

कमल:- बिल्कुल सही। ‌

कुश:- हे भगवान हमारी सहायता करना पता नहीं मेरा भाई कैसा होगा।

करमजीत:- तुम चिंता मत करो कुश लव बिल्कुल ठीक होगा। हम सब है ना तुम्हारे साथ।

शुगर:- हां कुश हम लव को बचा लेंगे तुम चिंता मत करो।

नैरेटर:- वे सभी बातें करते-करते एक बहुत बड़ी सी नदी के पास पहुंच जाते हैं।

कमल:- हमें इस नदी को पार करना होगा।

टॉबी:- वह देखो वहां पर एक नांव है। हम उसकी सहायता से इस नदी को पार कर पाएंगे।

करण:- हां चलो उस नांव में चलते हैं।

नैरेटर:- उसके बाद करण और उसके सभी दोस्त उस नांव में बैठ जाते हैं। शुरुआत में तो कुछ नहीं होता परंतु जैसे-जैसे नांव आगे बढ़ती जाती है वैसे-वैसे पूरी नदी में बहुत ज्यादा हलचल होने लगती है।

बुलबुल:- आखिर यह सब क्या हो रहा है? इस तरह पानी में हलचल क्यों हो रही है ऐसे तो हम इसमें गिर जाएंगे।

करण:- कोई बात नहीं दोस्तों तुम सभी नांव को कस के पकड़ कर रखो।

करमजीत:- हां दोस्तों सभी अपना ध्यान रखना कहीं ऐसा ना हो कि हम पानी में गिर जाए।

नैरेटर:- उसके बाद धीरे-धीरे पानी में हलचल और भी ज्यादा बढ़ जाती है जिसकी वजह से बुलबुल और कुश पानी में गिर जाते हैं।

करण:- बुलबुल, कुश।

नैरेटर:- इस तरह एक-एक करके सभी पानी में गिर जाते हैं।

नैरेटर:- आखिर करण और उसके दोस्त आगे आने वाले सभी पड़ावों को किस प्रकार पार करेंगे। यह सब जानने के लिए बने रहिएगा तिलिस्म कहानी के अगले एपिसोड तक।

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